वह प्रीति अनोखी होती है, वह प्यार अनोखा होता है।
वह प्रीतिअनोखी होती है, वह प्यार अनोखा होता है ।
निस्वार्थ प्रेम के बदले में ,निस्वार्थ प्रेम जब मिलता है ।
क्या कोई सीमा होती है, प्यारे इन रिश्ते नातों की,
जब जब नयना टकराते हैं , दिल में धड़कन तब होती है।
दिल की धड़कन सुन सुनकर, जब योगी योग जगाते हैं।
जब प्रिय की याद अमर करके, तब रोगी रोग छुपाते हैं।
प्रेम रोग जब लग जाता है,इठलाता है मुस्काता है,
जैसे प्रेमी सिद्धि पाते हैं, वैसे प्रिय में खो जाते हैं।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम