वह गांव की एक शाम
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शीर्षक: ” अटरू की सर्दियों की शाम”
दृश्य 1: गाँव की सादगी और आंतरिक द्वंद्व
स्थान: गाँव का हरियाला इलाका। सर्द हवाएँ खेतों में दौड़ती हैं। नयन सरड़ी माता के तालाब के पास एक पेड़ के नीचे बैठा हुआ है, उसकी आँखों में दूर तक दिखने वाली चिंता है। वह अपने पिता के साथ खेत पर काम करने के बाद थका हुआ दिख रहा है।
नयन (खुद से बड़बड़ाते हुए):
“कितना अच्छा होता, अगर मैं भी कोटा जा पाता… कुछ बड़ा कर पाता। बड़ा बनकर पिता का सहारा बनता।लेकिन यहाँ से दूर जाना मतलब अपनी जड़ों से दूर जाना है। पिताजी तो कभी भी नहीं मानेंगे।”
नयन के पिता (पास आते हुए):
“क्या सोच रहा है बेटा? कोई चिंता है क्या?”
नयन (संभलते हुए):
“नहीं पापा , कुछ नहीं। बस सोच रहा था कि ये खेत हमें कितना कुछ देते हैं, लेकिन शहर के लोगों के लिए ये सिर्फ ज़मीन होती है।”
नयन के पिता (गहरी सांस लेते हुए):
“तू सही कहता है, बेटा। पर दुनिया बदल रही है, हमें भी बदलना पड़ेगा। शहर का सपना देखना बुरा नहीं है, पर अपनी मिट्टी मत भूलना।”
क्यों कि जो अपनी जड़ों से कटा है।
आज नही तो कल जरूर मिटा है।
और दोनो घर की तरफ चल देते है। आगे आगे बैल
और पीछे नयन , नयन बैलों को दुधाधारी बावड़ी कि खेल में पानी पिलाता है। और उसके पिता नवल जी , केल पूरी जी महाराज केपरिसर में बैठ जाते है।
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दृश्य 2: अन्नू की उलझन
स्थान: शहर का आरामदायक कॉर्पोरेट ऑफिस। अन्नू अपनी टीम के साथ गाँव के प्रोजेक्ट पर चर्चा कर रही है, लेकिन उसके चेहरे पर उलझन और बेचैनी है।
अन्नू (सोचते हुए, खुद से):
“क्या मैं वाकई सही कर रही हूँ? इस प्रोजेक्ट से लोगों का फायदा होगा या हम सिर्फ उनके जीवन को और मुश्किल बना देंगे?”
उसकी सहयोगी: इति श्री
“अन्नू, तुम इस प्रोजेक्ट को लेकर परेशान क्यों हो रही हो? ये गाँववालों के लिए अच्छा है। हमें इसे पूरा करना ही होगा।”
अन्नू (गहरी सांस लेते हुए):
“शायद तुम सही कह रही हो इत्तू , लेकिन वहाँ के लोगों के लिए ये सिर्फ एक ज़मीन का सौदा नहीं है। उनके दिल जुड़े हुए हैं उस ज़मीन से। मुझे डर है कि हम उन्हें खो देंगे, और शायद खुद को भी।”
अरे नहीं अन्नू इतनी जज्बाती मत बन ,बिजनेस और जज्बात साथ नही चलते ।
हूं सो तो है। कहते हुए अन्नू ने गहरी सांस ली।
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दृश्य 3: (पहली मुलाकात में गहराई)
स्थान: गाँव का पंचायत घर। अन्नू गाँववालों के सामने अपने प्रोजेक्ट का प्रस्ताव रख रही है। नयन अपनी जड़ों के प्रति समर्पण दिखाते हुए उसे चुनौती देता है।
नयन (गंभीरता से):
“तुम्हारा प्रोजेक्ट हमारे लिए क्या करेगा? शहर में तुम्हारे लिए यह सिर्फ एक व्यवसाय है, पर हमारे लिए यह ज़मीन है, हमारे पूर्वजों की पहचान। तुम हमें बस एक और आंकड़ा बना दोगी।”
अन्नू (धीरे से, पर आत्मविश्वास से):
“मैं समझती हूँ कि यह सिर्फ ज़मीन नहीं है, यह आपकी पहचान है। लेकिन क्या आपको नहीं लगता कि इस बदलाव से आपके बच्चों का भविष्य बेहतर हो सकता है? क्या हम दोनों एक साथ इसे बेहतर बना सकते हैं?”
नयन (आंखों में दर्द के साथ):
“बेहतर भविष्य की कीमत क्या होगी, अन्नू जी ? क्या हम अपनी पहचान खोकर खुश रह सकेंगे।”
(नयन का दर्द और अन्नू की सहानुभूति दोनों के बीच एक अजीब कशमकश पैदा कर देती है।)
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दृश्य 4: बढ़ती नजदीकियाँ और भावनाओं का जाल
स्थान: गाँव का पुराना बुध सागर तालाब। पास मे खेड़ा पति हनुमान जी के मंदिर से आरती की घंटी की आवाज आरही है। शाम भी लगभग ढल रही है, ठंडी हवाओं में अन्नू और नयन के बीच बातचीत की गरमी बढ़ रही है।
अन्नू (धीमी आवाज़ में):
“तुम्हारे लिए यह सब इतना महत्वपूर्ण क्यों है, नयन? क्या तुम कभी अपने सपनों को लेकर नहीं सोचते?” क्या गांव में वाकई विकास नही होना चाहिए?
नयन (गहरी सांस लेते हुए):
“सपने तो मैंने भी देखे हैं, अन्नू जी । लेकिन सपनों और हकीकत के बीच का फासला बड़ा होता है। यहाँ की मिट्टी ने मुझे पाला है, और इससे दूर जाना मुझे खुद से दूर जाने जैसा लगता है।” इस मिट्टी को बदल देना मतलब अपनी मां को छोड़ देना .. बस मैं ज्यादा न जानता हूं न समझता हूं।
अन्नू (उसकी आँखों में देखते हुए):
“कभी-कभी, सपनों को पूरा करने के लिए अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर आना पड़ता है मिस्टर नयन । लेकिन मैं जानती हूँ कि तुम्हारी जड़ें कितनी गहरी हैं।”
(अन्नू अब नयन को एक नज़र से नहीं देख रही है, बल्कि उसकी सादगी और संघर्ष ने उसे गहराई से छू लिया है।)
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दृश्य 5: प्यार और त्याग का इम्तिहान
स्थान: गाँव का पंचायत घर, जहाँ आखिरी फैसला होना है। अन्नू और नयन के बीच एक आखिरी टकराव होना तय है। दोनों के दिलों में प्यार है, लेकिन रास्ते अलग-अलग दिख रहे हैं।
नयन (आवाज़ में दर्द के साथ):
“अन्नू, …सॉरी अन्नुजी ।मैं तुम्हारे लिए अपने दिल में जो महसूस करता हूँ, उसे नज़रअंदाज नहीं कर सकता। लेकिन मैं अपनी ज़मीन को भी नहीं छोड़ सकता। यह मेरे अस्तित्व का हिस्सा है।”
अन्नू (आँखों में आँसू लिए):
“नयन, मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ। लेकिन अगर मैंने यह प्रोजेक्ट नहीं किया, तो मेरी पूरी ज़िंदगी की मेहनत बेकार हो जाएगी। मैं यहाँ सिर्फ एक नौकरी के लिए नहीं आई थी, मैं अटलपुरी में कुछ बदलने आई थी।”
नयन (मुस्कुराते हुए, लेकिन आंखों में दर्द के साथ):
“शायद हमें अपने प्यार के लिए कुछ खोना होगा। अगर यह प्यार सच्चा है, तो शायद एक दिन हम दोनों इसे समझ पाएंगे।”
(नयन और अन्नू के बीच एक गहरी भावना जाग उठती है। दोनों समझते हैं कि उनके रास्ते फिलहाल अलग हैं, लेकिन उनका प्यार समय और परिस्थितियों के बावजूद अमर रहेगा।)
अन्नू (धीरे से):
“अगर यह प्यार सच्चा है, तो एक दिन हम फिर मिलेंगे।”
(दोनों एक आखिरी बार एक-दूसरे की ओर देखते हैं, फिर अन्नू गाँव से चली जाती है। सर्द हवाएँ अब उनके दिलों के जज़्बातों को बयाँ करती हैं।)
कलम घिसाई
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