वह कुछ नहीं जानती
वह कुछ नहीं जानती
वह पन्नों से जहाज बनाना जानती है,
लिखी हुई जहाज बनने की प्रक्रिया नहीं।
उसकी आँखों में दशकों का प्रेम है,
लेकिन आधुनिक युग की नजरिया नहीं।
वह काली स्याही पढ़ना जानती नहीं,
पढ़ने वाले को बनाना जानती वही।
वह जानती नहीं सैंडविच का आकार,
जानती है क्या होता है पौष्टिक आहार।
सोशल मीडिया से कोसों दूर है,
सामाजिक जीवन ही उसका दस्तूर है।
बिंदेश कुमार झा