*वही पुरानी एक सरीखी, सबकी रामकहानी (गीत)*
वही पुरानी एक सरीखी, सबकी रामकहानी (गीत)
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वही पुरानी एक सरीखी, सबकी रामकहानी
1
सॉंसें केवल चार मिली थीं, लगे चार दिन मेले
मेलों के आनंद तभी तक, चार जेब में धेले
याद कर रही वृद्धावस्था, खोई हुई जवानी
2
कोई राजा दास हो गया, कोई धनिक भिखारी
पतन और उत्थान हो रहा, हर क्षण सबका जारी
पल में रोना-पल में हॅंसना, मन की यही निशानी
3
कभी किसी से झगड़ा-टंटा, थाना और कचहरी
कभी चैन से शाम गुजरती, मृदुता लिए दुपहरी
एक दिवस रहता विनम्र सिर,अगले दिन अभिमानी
वही पुरानी एक सरीखी, सबकी रामकहानी
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451