वहम।
इतनी भी यूँ बेवज़ह की नफ़रत अच्छी नहीं बाद में पछताओगे।
कर लो साफ अपने दिल का वहम वर्ना हस्र में नज़रे चुराओगे।।
?
“ताज मोहम्मद”
इतनी भी यूँ बेवज़ह की नफ़रत अच्छी नहीं बाद में पछताओगे।
कर लो साफ अपने दिल का वहम वर्ना हस्र में नज़रे चुराओगे।।
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“ताज मोहम्मद”