Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Mar 2022 · 1 min read

वसुधैव कुटुम्बकम ्

हमारे भारतीय गणतंत्र ,संस्कृति, सभ्यता की मूल आधार है–वसुधैव कुटुम्बकम की भावना।यह संस्कृति सामासिक संस्कृति है जिसमें तेरा-मेरा की भावना नहीं होती।भारतीय संस्कृति की मूल आधार भावना विश्वशांति करने में सहायक हो सकती है।
पारिवारिक मनोवृत्ति ही इस विश्वशांति में सहायक हो सकती है।
परहित सरस धर्म नहीं भाई,परपीड़ा सम नहीं..
दूसरे के प्रति उपकार की भावना करना,उपकार करना,इससे बढ़कर अन्य धर्म नहीं।जो व्यक्ति दूसरे की पीड़ा को अपनी पीड़ा मानता है ,उसे दूर करने का प्रयास करता है–वह विश्वमैत्री,विश्वशांति स्थापित करने में मदद कर सकताहै ।वर्तमान समय में यह परोपकार व परपीड़ा की भावना यदि मानव मात्र के हृदय में जगह बना ले तो भारतीय संस्कृति ,सभ्यता सदैव के लिए अक्षुण्ण रह सकती है।
मनोरमा जैन पाखी

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 328 Views

You may also like these posts

शिक्षक ही तो देश का भाग्य निर्माता है
शिक्षक ही तो देश का भाग्य निर्माता है
gurudeenverma198
जलधर
जलधर
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
नींद
नींद
Diwakar Mahto
भीतर का तूफान
भीतर का तूफान
Sandeep Pande
“तुम हो जो इतनी जिक्र करते हो ,
“तुम हो जो इतनी जिक्र करते हो ,
Neeraj kumar Soni
कुंडलिया
कुंडलिया
sushil sarna
उनको अब हमसे प्यार नहीं रहा
उनको अब हमसे प्यार नहीं रहा
Jyoti Roshni
संविधान के शिल्पी - डॉ अम्बेडकर
संविधान के शिल्पी - डॉ अम्बेडकर
डिजेन्द्र कुर्रे
उड़ान
उड़ान
MEENU SHARMA
*भाषा संयत ही रहे, चाहे जो हों भाव (कुंडलिया)*
*भाषा संयत ही रहे, चाहे जो हों भाव (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
घर घर रंग बरसे
घर घर रंग बरसे
Rajesh Tiwari
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बात करोगे तो बात बनेगी
बात करोगे तो बात बनेगी
Shriyansh Gupta
आँखे हैं दो लेकिन नज़र एक ही आता है
आँखे हैं दो लेकिन नज़र एक ही आता है
शेखर सिंह
सहज - असहज
सहज - असहज
Juhi Grover
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
"मतदान"
Dr. Kishan tandon kranti
(हमसफरी की तफरी)
(हमसफरी की तफरी)
Sangeeta Beniwal
रजस्वला
रजस्वला
के. के. राजीव
श्री चरणों की धूल
श्री चरणों की धूल
Dr.Pratibha Prakash
अंदाज़ ऐ बयाँ
अंदाज़ ऐ बयाँ
Dr. Rajeev Jain
देहदान का संकल्प (सौहार्द शिरोमणि संत सौरभ पर अधारित)
देहदान का संकल्प (सौहार्द शिरोमणि संत सौरभ पर अधारित)
World News
होली
होली
SATPAL CHAUHAN
सुबह-सुबह की लालिमा
सुबह-सुबह की लालिमा
Neeraj Agarwal
वक़्त होता
वक़्त होता
Dr fauzia Naseem shad
#सवाल-
#सवाल-
*प्रणय*
तुम्हीं हो
तुम्हीं हो
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
रातों में यूं सुनसान राहें बुला रही थी,
रातों में यूं सुनसान राहें बुला रही थी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नदियां बहती जा रही थी
नदियां बहती जा रही थी
Indu Singh
कल आज और कल
कल आज और कल
Mahender Singh
Loading...