Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Sep 2023 · 3 min read

वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश

वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश

वसुधा और कुटुम्बकम् अर्थात धरती ही परिवार है , यह सनातन धर्म का मूल संस्कार/ विचारधारा है जो महा उपनिषद सहित कई ग्रन्थों में लिपिबद्ध है। जो भारतीय संसद के प्रवेश कक्ष में भी अंकित है।
संस्कृत भाषा के शास्त्रीय प्रमाणों में सर्वप्रथम यह श्लोक महा उपनिषद के छठवें अध्याय में वर्णित मिलता है। यह वाक्य दो शब्दों ‘वसुधा’ और ‘कुटुंब’ से मिलकर बना है। ‘वसुधा’ का अर्थ है पृथ्वी और ‘कुटुम्ब’ का अर्थ है परिवार अर्थात सम्पूर्ण विश्व एक परिवार है।
इसके लिए किसी एक व्यक्ति को श्रेय नहीं दिया जा सकता . ‘वसुधैव कुटुंबकम’ एक वेदांतिक सूक्ति है जो महा उपनिषद (VI. 71-73) में आती है। ये वेदों में लिखा था।
भारत ”वसुधैव कुटुम्बकम् ” की अवधारणा को आत्मसात करता चलता है। इसका अर्थ है कि हम पूरी पृथ्वी को एक परिवार की तरह मानते हैं। फिर भी हम अपने ही परिवार के लगभग एक करोड़ लोगों को अपने से अलग रखकर उनसे भेदभाव कर रहे हैं। पूरे विश्व में भारतीय मूल के लोगों का एक बड़ा वर्ग है, जिन्हें अन्य देशों का पासपोर्ट मिला हुआ है।
योग मुद्राओं का अभ्यास करने के अलावा, व्यक्ति दूसरों के प्रति दया, करुणा और समझ विकसित करके ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के दर्शन को भी अपना सकता है। इसमें हमारी साझा मानवता को स्वीकार करना और दुनिया को अपना विस्तारित परिवार मानना शामिल है।
दुनिया में अलग-अलग देशों में शांति मिशन हो या फिर तुर्की के भूकंप जैसी आपदा हो, भारत अपना पूरा सामर्थ्य लगाकर हर संकट के समय मानवता के साथ खड़ा होता है, ‘मम भाव’ से खड़ा होता है.” प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति को अगर आप गौर से देखें तो पायेंगे कि वसुधैव कुटुम्बकम का ये सिद्धांत ही आचरण के मूल में है जिस कारण सहायता। (*साभार*)
वसुधैव कुटुंबकम एक संस्कृत श्लोक है जो मित्रता के लिए विश्ववाद का संदेश देता है। वसुधैव कुटुंबकम का संदेश यह है कि प्रत्येक व्यक्ति वैश्विक समुदाय का सदस्य है और सभी को एक दूसरे के साथ सम्मान और करूणा का व्यवहार करना चाहिए।
वसुधैव कुटुंबकम का भारतीय जीवन दर्शन में प्रभाव परिलक्षित होता है। जिस पर भारतवासी गर्व महसूस करता है । गैरों को भी गले लगाना, दूसरे लोगों के दृष्टिकोण और भावनाओं को समझने की कोशिशें करना, दयालुता को बढ़ावा देना , प्यार दुलार,देना अपनत्व के भाव का बोध कराना, सकारात्मकता फैलाना, जरूरतमंदों की मदद करना ,लोगों को शिक्षित, संस्कारित करना, सभी लोगों के परस्पर जुड़ाव के बारे में अपने ज्ञान, विज्ञान और विश्वास का आदान प्रदान करने के साथ औरों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना ही वास्तविक वसुधैव कुटुंबकम् का सार, संदेश, भावना, उद्देश्य है।
धरती के हर प्राणी को अपने दैनिक जीवन में इस वसुधैव कुटुंबकम् के भावों को शामिल करना चाहिए, ताकि हम ऐसे, परिवार, समाज, राष्ट्र और विश्व के निर्माण में अपना योगदान एक व्यक्ति ही नहीं व्यक्तिगत इकाई के रूप में दे भी सकने के साथ खुद पर गर्व कर सकें, कि मैंने भी अपना योगदान दिया। जिससे विविधताओं को प्रदर्शित और सम्मानित करती भावनाओं के मजबूती मिल सके और हर कोई एक दूसरे से अपनेपन और जुड़ाव की भावना को महसूस करने के साथ प्रगाढ़ करने में हमारा भी कुछ योगदान सम्मिलित हो सके। यही वसुधैव कुटुम्बकम् का वास्तविक संदेश है। जिसको समाहित करते हुए हमारा देश भारत सगर्व आगे बढ़ रहा है और एक भारतीय होने के नाते जिसका हमें गर्व था,आज है और आगे भी रहेगा।

आलेख/प्रस्तुति
सुधीर श्रीवास्तव

Language: Hindi
Tag: लेख
632 Views

You may also like these posts

सजल
सजल
Rambali Mishra
4631.*पूर्णिका*
4631.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
عزت پر یوں آن پڑی تھی
عزت پر یوں آن پڑی تھی
अरशद रसूल बदायूंनी
कोई  फरिश्ता ही आयेगा ज़मीन पर ,
कोई फरिश्ता ही आयेगा ज़मीन पर ,
Neelofar Khan
कश्मीर
कश्मीर
Rekha Drolia
शब्दों का झंझावत🙏
शब्दों का झंझावत🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
❤बिना मतलब के जो बात करते है
❤बिना मतलब के जो बात करते है
Satyaveer vaishnav
#विश्व_वृद्धजन_दिवस_पर_आदरांजलि
#विश्व_वृद्धजन_दिवस_पर_आदरांजलि
*प्रणय*
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Santosh Soni
कर बैठा गठजोड़
कर बैठा गठजोड़
RAMESH SHARMA
आप सच बताइयेगा
आप सच बताइयेगा
शेखर सिंह
अर्थ मिलते ही
अर्थ मिलते ही
Kshma Urmila
हीरा
हीरा
Poonam Sharma
इस बुझी हुई राख में तमाम राज बाकी है
इस बुझी हुई राख में तमाम राज बाकी है
डॉ. दीपक बवेजा
पता नहीं कब लौटे कोई,
पता नहीं कब लौटे कोई,
महेश चन्द्र त्रिपाठी
पूछो ज़रा दिल से
पूछो ज़रा दिल से
Surinder blackpen
जैसे एक सब्जी बेचने वाला बिना कहे उस सब्जी की थैली में चंद म
जैसे एक सब्जी बेचने वाला बिना कहे उस सब्जी की थैली में चंद म
Rj Anand Prajapati
"आशिकी ने"
Dr. Kishan tandon kranti
****हमारे मोदी****
****हमारे मोदी****
Kavita Chouhan
मुक्तक
मुक्तक
surenderpal vaidya
प्यासा_कबूतर
प्यासा_कबूतर
Shakil Alam
जिंदगी
जिंदगी
पूर्वार्थ
हिंदी दिवस - विषय - दवा
हिंदी दिवस - विषय - दवा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जंगल गए थे हमको    वहां लकड़ियां मिली
जंगल गए थे हमको वहां लकड़ियां मिली
कृष्णकांत गुर्जर
एक आकार
एक आकार
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
अपना कहूं तो किसे, खुद ने खुद से बेखुदी कर दी।
अपना कहूं तो किसे, खुद ने खुद से बेखुदी कर दी।
श्याम सांवरा
तुझे आगे कदम बढ़ाना होगा ।
तुझे आगे कदम बढ़ाना होगा ।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
बना देता है बिगड़ी सब, इशारा उसका काफी है (मुक्तक)
बना देता है बिगड़ी सब, इशारा उसका काफी है (मुक्तक)
Ravi Prakash
ऐश ट्रे   ...
ऐश ट्रे ...
sushil sarna
नौ वर्ष(नव वर्ष)
नौ वर्ष(नव वर्ष)
Satish Srijan
Loading...