वसंत मन में पुलकित आयी
वसंत मन में पुलकित आयी
पिक अलि पडुंक भी बौराय
द्विज मही के संदेश क्षितिज में
ज्योति तम पली उर में
चूत मंजर भृग ऊर्मि तड़ित
तीर प्रतीर से देखती तरणि
मधु मधु छायी निर्मल बहार
कस्तूरी तरु में अम्बुद कण वृंद
दिव निशा विधु नतशीर स्वः जोन्ह