वसंत – फाग का राग है
हवा में मस्ती का तरंग है , रंग का उल्लास है
हर्षित हो उठा है मन मन में है शोख़ियाँ –
अपनों का संग है
वसंत का है आगमन फैला तरंग है
गुलाल की है ख़ुशबू – फाग का राग है
मादक है मौसम फागुन का तरंग है
गाओ रे फाग मन आया “वसंत” है
अपनो का संग है उमंग है
शायद उदासी का
लगता “बस अंत” है