Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Aug 2019 · 1 min read

वसंत और पतझड़

विधा-ललित छंद

सृजन हुआ जीवन का प्रतिपल, मंगलमय जग सारा।
फूट रहे हैं नव किसलय-दल, कितना सुखद नजारा।
प्राण-भरा भू के कण-कण में, सजी दिशाएँ सारी।
वृक्ष लदे फूलों से कितने, हुए फलों से भारी।

महक रहा मदमस्त पवन भी, कली खिली हर डाली।
अभिवादन करता है भू-मन, मोहक छटा निराली।
मस्ती के कितने रंग भरे, मौज भरा मौसम है।
घोल रही जो अमृत -कलश में, प्रेम भरा आलम है।

हाय! बड़ा निष्ठुर पतझड़ है, उजड़े बाग-बगीचे।
पत्र-विहीन-वृक्ष सूखे -से, सिर्फ बचे हैं ढाँचे।
पहले जैसे विटप नहीं है, मौसम रूप बदलते।
कुसुम वादियाँ वीरान हुईं , भू श्मशान से लगते।

हर ऋतु को सम्मान दिया जग, पर पतझड़ को भूला।
रंग-बसंती भाया सबको, औ सावन का झूला।
लिया जन्म पतझड़ से ही है,जीवन की सौगातें।
उर्वर अवनी को करता है, उपवन फूल खिलाते।

बदलावों का क्रम चलता है, जीवन चक्र यही है।
अंत सदा आरंभ रहा है, केवल अंत नहीं है।
मध्य रात्रि की नींद मृत्यु है, जीवन मध्य दिवस है,
जीना-मरना अटल सत्य है, इस पर किसका वश है।

-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

2 Likes · 501 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
वेलेंटाइन डे शारीरिक संबंध बनाने की एक पूर्व नियोजित तिथि है
वेलेंटाइन डे शारीरिक संबंध बनाने की एक पूर्व नियोजित तिथि है
Rj Anand Prajapati
उसने मुझे बिहारी ऐसे कहा,
उसने मुझे बिहारी ऐसे कहा,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
परिसर खेल का हो या दिल का,
परिसर खेल का हो या दिल का,
पूर्वार्थ
कामयाबी का नशा
कामयाबी का नशा
SHAMA PARVEEN
कभी लगते थे, तेरे आवाज़ बहुत अच्छे
कभी लगते थे, तेरे आवाज़ बहुत अच्छे
Anand Kumar
ईमानदारी, दृढ़ इच्छाशक्ति
ईमानदारी, दृढ़ इच्छाशक्ति
Dr.Rashmi Mishra
तुमको खोकर
तुमको खोकर
Dr fauzia Naseem shad
एहसास
एहसास
भरत कुमार सोलंकी
कहार
कहार
Mahendra singh kiroula
ऐ बादल अब तो बरस जाओ ना
ऐ बादल अब तो बरस जाओ ना
नूरफातिमा खातून नूरी
राखी
राखी
Shashi kala vyas
बाट का बटोही ?
बाट का बटोही ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
माली अकेला क्या करे ?,
माली अकेला क्या करे ?,
ओनिका सेतिया 'अनु '
2950.*पूर्णिका*
2950.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अल्फाज़.......दिल के
अल्फाज़.......दिल के
Neeraj Agarwal
रंगों की सुखद फुहार
रंगों की सुखद फुहार
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
//एक सवाल//
//एक सवाल//
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
💐प्रेम कौतुक-410💐
💐प्रेम कौतुक-410💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
सच को तमीज नहीं है बात करने की और
सच को तमीज नहीं है बात करने की और
Ranjeet kumar patre
"हँसी"
Dr. Kishan tandon kranti
*घर की चौखट को लॉंघेगी, नारी दफ्तर जाएगी (हिंदी गजल)*
*घर की चौखट को लॉंघेगी, नारी दफ्तर जाएगी (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
दायरे से बाहर (आज़ाद गज़लें)
दायरे से बाहर (आज़ाद गज़लें)
AJAY PRASAD
किभी भी, किसी भी रूप में, किसी भी वजह से,
किभी भी, किसी भी रूप में, किसी भी वजह से,
शोभा कुमारी
नारी
नारी
नन्दलाल सुथार "राही"
अंधेरे आते हैं. . . .
अंधेरे आते हैं. . . .
sushil sarna
सर्दी का उल्लास
सर्दी का उल्लास
Harish Chandra Pande
फल आयुष्य
फल आयुष्य
DR ARUN KUMAR SHASTRI
शिक्षा एवं धर्म
शिक्षा एवं धर्म
Abhineet Mittal
"अकेलापन और यादें "
Pushpraj Anant
मौत ने पूछा जिंदगी से,
मौत ने पूछा जिंदगी से,
Umender kumar
Loading...