वशिष्ठ नारायण सिंह
#वशिष्ठ नारायण सिंह ;
बिहार के भोजपुर जिला में बसंतपुर नाम के गाँव में जन्म हुआ था।
निधन से पूर्व वे मानसिक बिमारी से पीडित थे और बसन्तपुर में ही रहते थे। उन्होंने बर्कली के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से 1969 में गणित में पी.एच.डी की डिग्री प्राप्त की।
आज उनकी तबीयत खराब होने के चलते पटना ले जाया गया जहाँ डाक्टरों ने उन्हें मृत बताया।
BBC के अनुसार जब वह पटना साइंस कॉलेज में पढ़ते थे, उस दौरान वह बतौर छात्र गलत पढ़ाने पर वह अपने गणित के प्रोफेसर को टोक देते थे। इसके बारे में जब कॉलेज के प्रिंसिपल को जानकारी मिली तो उन्होंने वशिष्ठ नारायण सिंह की प्रतिभा को देखने के लिए उनकी अलग से परीक्षा ली थी
जिसके बाद उन्होंने सारे पिछले कीर्तिमान को उन्होंने तोड़ दिया।
वशिष्ठ नारायण सिंह… अपने जवानी के दिनों में ‘वैज्ञानिक जी’ के नाम से जाने जाते थे करीब 40 की उम्र से वह मानसिक बीमारी ‘सिजोफ्रेनिया’ से ग्रस्त थे। बिहार के पटना स्थित एक अपार्टमेंट में गुमनामी का जीवन बिता रहे थे। किताबें, कॉपियां और पेंसिल ही रह गई थी, उनके पास जिस से वो बातें करते और उसकी सुनते थे।
उन्होंने नासा (NASA) में भी काम किया था, लेकिन वहां मन नहीं लगा और वापस आगये। जिसके बाद 1971 से वापस भारत में ही रहे।
यहां आईआईटी कानपुर, आईआईटी बॉम्बे और आईएसआई कोलकाता में नौकरी की।
वशिष्ठ नारायण सिंह वो बिहारी भारतीय थे जिन्होंने आइंस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती दी थी।
उनके बारे में एक और कहानी बड़ी मशहूर है। जब नासा अपोलो की लॉन्चिंग कर रहा था, तब वशिष्ठ नारायण भी वहां मौजूद थे। लॉन्चिंग से ठीक पहले 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए थे। इस बीच वशिष्ठ नारायण ने अपना कैलकुलेशन जारी रखा। जब कंप्यूटर ठीक हुए, तो वशिष्ठ और कंप्यूटर्स का कैलकुलेशन एक जैसा ही था।
गजब प्रतिभा के धनी ‘वशिष्ठ नारायण सिंह’ अब नहीं रहे…
… सिद्धार्थ