Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Apr 2024 · 3 min read

वर और वधू पक्ष का लोभ

आज के लेख के माध्यम से एक विचार सबके समक्ष रखने का प्रयास है :-

१.शादी के वक्त ये अपेक्षा की जाती है कि लड़का पहले से सुखी – संपन्न हो उसके पास घर हो , इतना पैसा हो जितना खुद लड़की के मां – पिता के पास न हो ।

२. देखा जाए तो गृहस्थी दो लोगों की शुरू होती है, जिसमें लड़का – लड़की एक साथ रहने की सहमति देते हैं तो घर बनाने की जिम्मेदारी दोनों की ।

३. लड़कियों को सशक्त बनाया जाए कि वो किसी और के भरोसे शादी न करें , खुद अपने बलबूते हर वो इच्छा पूरी कर सकें जो वो अपने पति से चाहती हैं ।

४. लड़कियों का ये चाहना कि शादी के बाद उनके पास वो सब हो जो उन्होंने खुद अपने माता – पिता के घर न देखा हो पर अपने पति से चाहती हैं कितना लालच भरा है । कितनी ही बार उनकी इच्छाओं के बोझ तले लड़का कोल्हू के बैल की तरह काम करने पर मजबूर हो जाता है
अगर आपको किसी भी प्रकार की इच्छा है उसके लिए खुद मेहनत करें किसी दूसरे से अपेक्षा क्यों करना । एक मानव ही तो है (पुरुष , स्त्री दोनों) जिसके पास दिमाग है , उसका उपयोग करो जीवन में आगे बढ़ने के लिए … किसी दूसरे पर जोंक की भांति चिपक कर जिंदगी जीने की कोशिश खुद अपने वजूद के साथ नाइंसाफी है।

५. अब शादी में एक और मुद्दा है जिसपर बहस होती है “दहेज़”
क्या सचमुच दहेज़ बुरी बात है ? सबसे पहले इसपर मैं जो भी लिखूं उसे सिर्फ एक तार्किक दृष्टि से देखा जाए । मैं किसी भी तरह से दहेज़ का समर्थन नहीं कर रही हूं।

६. जब लड़की वाले एक बहुत ही ज्यादा पैसा कमाने वाला लड़का अपनी बेटी के लिए ढूंढते हैं , जहां लड़की की क्वालिफिकेशन सिर्फ सुंदरता है वहां लड़के वाले अगर दहेज़ की मांग करते हैं तो इसमें क्या ही बुरा है । वो इस लड़की के मां – पिता से उसका खर्चा वसूल कर रहे हैं जो शादी के बाद वो लड़की जिंदगी भर उस घर में करेगी । वैसे होता भी तो यही है जितना क्वालिफाइड लड़का उतना दहेज़ मांगा जाता है।

७. अगर आप नहीं चाहते दहेज़ देना तो पढ़ो , काबिल बनो तब किसी से दब कर नहीं रहना पड़ेगा । तब आप डंके की चोट पर कहो दहेज़ नहीं देंगे । ख़ुद कमा रहे , जो रोटी हम खा रहे ख़ुद के पैसे की है।

८. पढ़ी – लिखी लड़की के माता – पिता को किसी से दबने की जरूरत नहीं । जहां पैसा मांगा जाए शादी नहीं । समाज नहीं कुछ फैसले खुद से भी किए जाते हैं। हमसे मिलकर समाज बना है । आप बदलिए समाज बदलेगा ।
कभी – कभी माता – पिता इसलिए भी दवाब में आ जाते हैं कि लड़की की उम्र बढ़ रही । अरे तो क्या जीवन है बिना शादी भी चल जाएगा । अपनी बेटी को कहीं भी थोड़े ना ब्याह देंगे।समाज नहीं वो सोचिए जो सही है ।

९. शादी करते वक्त लड़का देखा जाए, उसका घर या बैंक बैलेंस नहीं । ज़िंदगी पड़ी है घर भी बन जाएगा , बैंक बैलेंस भी हो जाएगा । लड़का अच्छा , पढ़ा लिखा हो और साथ – साथ लड़की भी पढ़ी – लिखी , अपने पैरों पर खड़ी हो ताकि दोनों साथ मिलकर अपने नए जीवन की शुरुआत करें जहां दोनों की जिम्मेदारियां बराबर हों। वैसे पढ़ा – लिखा को यहां skilled समझा जाए । मतलब ये कि इतने काबिल हों कि अपना घर चला सकें ।

१०. वैसे ही लड़के वाले भी लड़की देखें दहेज़ नहीं ।आपका लड़का काबिल है तो पा जाएगा जो चाहता है , क्यों दूसरे की जिंदगी भर की कमाई पर आंख गड़ा रहे हो। भिखारी थोड़े न हो । अपने बेटे को काबिल बनाओ और काबिल लड़की से शादी करवाओ। यहां पर लड़के को भी decision लेना होगा सिर्फ दहेज़ की वजह से अच्छी लड़की न मिल पाए ऐसा नहीं होना चाहिए । जीवन आपका , आपने बिताना क्योंकि शादी के बाद माता – पिता पीछे हो जाते हैं निभाना आपको पड़ता है तो खुद के लिए क्या सही है पता होना चाहिए ।

आज के लिए इतना ही :)

©अलका बलूनी पंत

1 Like · 80 Views

You may also like these posts

4582.*पूर्णिका*
4582.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
!! सुविचार !!
!! सुविचार !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
यह बात शायद हमें उतनी भी नहीं चौंकाती,
यह बात शायद हमें उतनी भी नहीं चौंकाती,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
🎊🏮*दीपमालिका  🏮🎊
🎊🏮*दीपमालिका 🏮🎊
Shashi kala vyas
शिक्षक पर दोहे
शिक्षक पर दोहे
sushil sharma
सफर
सफर
Ritu Asooja
You are the sanctuary of my soul.
You are the sanctuary of my soul.
Manisha Manjari
पर्यावरण
पर्यावरण
Dr Archana Gupta
****महात्मा गाँधी****
****महात्मा गाँधी****
Kavita Chouhan
यूँ ही क्यूँ - बस तुम याद आ गयी
यूँ ही क्यूँ - बस तुम याद आ गयी
Atul "Krishn"
सुबह सुहानी आ रही, खूब खिलेंगे फूल।
सुबह सुहानी आ रही, खूब खिलेंगे फूल।
surenderpal vaidya
तुझको को खो कर मैंने खुद को पा लिया है।
तुझको को खो कर मैंने खुद को पा लिया है।
Vishvendra arya
दर्द शिद्दत को पार कर आया
दर्द शिद्दत को पार कर आया
Dr fauzia Naseem shad
दोहा - कहें सुधीर कविराय
दोहा - कहें सुधीर कविराय
Sudhir srivastava
फिज़ा बदल गई
फिज़ा बदल गई
Ram Krishan Rastogi
रावण, तुम अमर कैसे हो गये
रावण, तुम अमर कैसे हो गये
Chitra Bisht
नर जीवन
नर जीवन
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
नदियां बहती जा रही थी
नदियां बहती जा रही थी
Indu Singh
'मूक हुआ आँगन'
'मूक हुआ आँगन'
जगदीश शर्मा सहज
जनवासा अब है कहाँ,अब है कहाँ बरात (कुंडलिया)
जनवासा अब है कहाँ,अब है कहाँ बरात (कुंडलिया)
Ravi Prakash
#ਕੌਡੀ
#ਕੌਡੀ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
नदिया का नीर
नदिया का नीर
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
🙅नया सुझाव🙅
🙅नया सुझाव🙅
*प्रणय*
साकार आकार
साकार आकार
Dr. Rajeev Jain
माई कहाँ बा
माई कहाँ बा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सुबह आंख लग गई
सुबह आंख लग गई
Ashwani Kumar Jaiswal
शिव सुखकर शिव शोकहर, शिव सुंदर शिव सत्य।
शिव सुखकर शिव शोकहर, शिव सुंदर शिव सत्य।
डॉ.सीमा अग्रवाल
##श्रम ही जीवन है ##
##श्रम ही जीवन है ##
Anamika Tiwari 'annpurna '
अब कौन रोज़ रोज़ ख़ुदा ढूंढे
अब कौन रोज़ रोज़ ख़ुदा ढूंढे
Ansh Srivastava
"हार व जीत तो वीरों के भाग्य में होती है लेकिन हार के भय से
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
Loading...