वर्षगांठ है आजादी की, उत्सव खूब मनाओ।
मातृभूमि पर मिटने वाले, वीरों के गुण गाओ।
वर्षगांठ है आजादी की, उत्सव खूब मनाओ।
ब्रिटिश हुकूमत की हाथों में, पराधीन थी माता।
तड़प रही थी माता सम्मुख, पुत्र कहाँ सह पाता।
जबतक प्राण शेष थे तन में, झुकें नहीं मतवाले-
देशभक्त वीरों की गाथा, दुश्मन भी है गाता।
जय-जयकार करो वीरों की, श्रद्धा सुमन चढ़ाओ।
वर्षगांठ है आजादी की, उत्सव खूब मनाओ।
राजगुरु, सुखदेव, सावरकर, भारत के रखवाले।
गांधी बाबा आजादी के, ख्वाब हृदय में पाले।
लाखों वीर शहीदों की यह, धरती ऋणी रहेगी-
बोस, तिलक,आजाद,भगत जी, नाम अमर कर डाले।
बलिदानी मिट्टी भारत की, तिलक लगाओ आओ।
वर्षगांठ है आजादी की, उत्सव खूब मनाओ।
जाति धर्म से ऊपर रखना , देशप्रेम यह भाई।
दुश्मन को छूने मत देना, सरहद की परछाई।
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, आपस में मत लड़ना-
मिलकर रहने में होती है, सबकी सदा भलाई।
सबसे ऊंँचा रहे तिरंगा, शपथ आज यह खाओ।
वर्षगांठ है आजादी की, उत्सव खूब मनाओ।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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