वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
हो
कर
प्रतिज्ञ
चलना है
बढ़ते चल
रुको कहीं मत
मंज़िल को पाना हैं।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।
वर्ण पिरामिड
हो
कर
प्रतिज्ञ
चलना है
बढ़ते चल
रुको कहीं मत
मंज़िल को पाना हैं।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।