वरना चिड़िया चुग जायेगी खेत
झील – सी आंखों वाली उतरी दिल में क्यों गहरी
अब आवाज़ भी सुनती नहीं दिल की क्या बहरी
सहरी का अब वक्त हो गया है जागो सोनेवालों
वरना चिड़िया चुग जायेगी खेत लोगे नींद गहरी ।।
मधुप बैरागी