Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 May 2024 · 1 min read

वरद् हस्त

कांगड़ा के हवाई अड्डे से
उस दिन हवा में हो गया मैं
देखते ही देखते
एक सुंदर सी दुनिया में खो
गया मैं

घर खेत खलियान,धरती पर
बस्ती की सारी पहचान
धीरे धीरे खो रही थी
अब उर्द्वमुखी
हमारी उड़ान हो रही थी

धरती पर सारी सीमाएं
समाप्त हो रहीं थीं
सभी एक दूसरे में समा कर
एक हो रहीं थीं ,
अब तक धरा पर
बादलों के गवक्षों से
अंबर निहारता था
अब बादलों के वातायन से
धरती निहारने में प्रयासरत
आसमान में
निराधार उड़ रहा था

बहुत दूर तक
चांदी की चादर
बिछी थी
या कहूं बर्फ की चादर
परंतु यह सच था
कि
मैं होने के सारे आभास मिट रहे थे

सारी पहचान समाप्त हो जाती हैं
जब हम उठ जाते हैं ऊपर
केवल एक आभास
शून्य या पूर्ण
पूर्ण कहना उचित होगा
दंभ से न नाता होगा

इस
निराधार हवाई यात्रा से
एक बात जान गया हूं
जब तुम्हारे नीचे कोई ठोस आधार
नहीं होता है
तो एक शाश्वत सत्य का वरद हस्त
मात्र
तुम्हारे साथ होता है
तुम्हारे साथ होता है

60 Views
Books from डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
View all

You may also like these posts

जिंदगी भी किताब जैसी
जिंदगी भी किताब जैसी
Seema gupta,Alwar
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
जय श्रीराम !
जय श्रीराम !
Mahesh Jain 'Jyoti'
झूठा प्यार।
झूठा प्यार।
Sonit Parjapati
निर्गुण
निर्गुण
Shekhar Chandra Mitra
"दाग-धब्बे"
Dr. Kishan tandon kranti
'ग़ज़ल'
'ग़ज़ल'
Godambari Negi
4864.*पूर्णिका*
4864.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिस प्रकार लोहे को सांचे में ढालने पर उसका  आकार बदल  जाता ह
जिस प्रकार लोहे को सांचे में ढालने पर उसका आकार बदल जाता ह
Jitendra kumar
छोड़कर एक दिन तुम चले जाओगे
छोड़कर एक दिन तुम चले जाओगे
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
ज़िंदगी में जब भी कुछ अच्छा करना हो तो बस शादी कर लेना,
ज़िंदगी में जब भी कुछ अच्छा करना हो तो बस शादी कर लेना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ख्वाबों में मिलना
ख्वाबों में मिलना
Surinder blackpen
सागर ने जब जब हैं  हद तोड़ी,
सागर ने जब जब हैं हद तोड़ी,
Ashwini sharma
भक्ति गीत
भक्ति गीत
Arghyadeep Chakraborty
दो अक्षर में कैसे बतला दूँ
दो अक्षर में कैसे बतला दूँ
Harminder Kaur
Middle class
Middle class
Deepali Kalra
*हल्द्वानी का प्रसिद्ध बाबा लटूरिया आश्रम (कुंडलिया)*
*हल्द्वानी का प्रसिद्ध बाबा लटूरिया आश्रम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
सुकून की ज़िंदगी
सुकून की ज़िंदगी
Shriyansh Gupta
जो बालक मातृभाषा को  सही से सीख  लेते हैं ! वही अपने समाजों
जो बालक मातृभाषा को सही से सीख लेते हैं ! वही अपने समाजों
DrLakshman Jha Parimal
#समय समय से चलता
#समय समय से चलता
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए
स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए
Sonam Puneet Dubey
पानी पर ख़्वाब
पानी पर ख़्वाब
Shally Vij
दो सहोदर
दो सहोदर
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
नदी की करुण पुकार
नदी की करुण पुकार
Anil Kumar Mishra
दिवाकर उग गया देखो,नवल आकाश है हिंदी।
दिवाकर उग गया देखो,नवल आकाश है हिंदी।
Neelam Sharma
एक गरिमामय व्यक्तित्व के लिए
एक गरिमामय व्यक्तित्व के लिए
Seema Verma
ବିଭାଗ[ସମ୍ପାଦନା]
ବିଭାଗ[ସମ୍ପାଦନା]
Otteri Selvakumar
"सलाह" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
नफरतों के शहर में प्रीत लुटाते रहना।
नफरतों के शहर में प्रीत लुटाते रहना।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
चाय
चाय
अंकित आजाद गुप्ता
Loading...