वन्दना
जयतु जयतु मां शारदे, बारम्बार प्रणाम।
देना मेरी कलम को नित नूतन आयाम।।
सद् लिखूं सतपथ चलूं, कभी न भूलूं राह।
शुचिता, धीरज, सौम्यता सदा नियंत्रित चाह।।
जननी तुम पालक तुम्ही, तुम्ही प्रेरणा सिंधु।
तुम पर आश्रित लेखनी, भारत याचक बिंदु।।
भारतेन्द्र शर्मा “भारत”
धौलपुर, राजस्थान