वनप्राणी संरक्षण।
आज हमारे देश में पयार्वरण सबंधी गति विधि यो का सनचालन .ऐसा लगता है जैसे केवल कागजों पर ही सिमट कर रह गया है।असली मैं कुछ होता ही नहीं है।केवल घोषणा ही करते रहे हैं।जो गलती होती रही है।हम सभी उसको ही दोहराते रहते हैं।हमें वन प्राणीओ की कभी चिंता ही नहीं करते है।कयोंकि हम सभी विग्यानी बन चुके हैं।सभी घमंड मे चूर चूर हो चुके हैं।इसलिए ही हम सत्य तक नही पहुंच सकते हैं।हमें अब प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है।हमनें प्राकृतिक नियमों से छेड़छाड़ कर दी है।इसलिए ही अब भूचाल आने लगा है।जानकर भी अनदेखा कर रहे हैं।हम के्वल बाजार की तालाश करने मे जुट गये है।और नये नये प्राडकस बनाये जा रहे हैं।प्रया वरण की चिन्ता किसीको नहीं रही है।उसका कारण कया हो सकता है।हम सभी बहुत दूर निकल चुके हैं।अब पीछे लौट कर आना मुश्किल है।कयोंकि हम सब सुख सुविधा भोगी बन चुके हैं।।