वतन से प्यार करती हूँ
1
नहीं सच बात कहने से कभी यारों मैं डरती हूँ।
जिसे स्वीकार करता दिल वही मैं बात करती हूँ।
यही है आरजू मेरी बनूँ इंसान मैं सच्ची,
वतन से प्यार करती हूँ वतन पर अपने मरती हूँ।
2
नहीं दो नाव में रख पाँव चलना चाहिये देखो।
विचारे बिन न कोई काम करना चाहिये देखो।
बढ़ाओ तेज कितने भी कदम अपने यहाँ आगे,
अगर ठोकर मिले फिर तो सँभलना चाहिए देखो।
डॉ अर्चना गुप्ता