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2 Jul 2018 · 1 min read

वतन ये मेरा

वतन ये मेरा, पुष्पित होती जहाँ असीम स्नेह की फुहार
जहाँ गलती होने पर दिल के बंधनों में हार स्वीकार

बहती जहाँ रगो में सतत निर्मल
पावनि गंगा
रहता जहाँ पर हर इक दिन , हर इक दिल चंगा

वहाँ दिलों में हर रोज खिंची क्यों
जाँति -पाँति की अमिट दीवार है
वतन ये मेरा————–

पति पत्नी में न दिखती समरसता , रिश्ते झूठे लगते
सार न जिन्दगी में कोई , कोरे वृक्ष की ठूँठे लगते

अब न शेष बचा जीवन में
उत्साह और उन्माद है
ग्रहण लगा कैसा अस्तित्व को गया जीवन तार तार है
वतन ये मेरा—— ——
बाप बेटे में बढ़े दूरियाँ ,अपने ही खेले खून की होलियाँ
भारत भू हो गयी रक्त रंजित दागे अपने पर गोलियाँ

जीवन जीना हो गया दूभर
करूँ मैं किसकी पुकार
घर के झगड़े घर से निकल कर
पढ़ो हर रोज अखवार है
वतन ये मेरा——–

Language: Hindi
Tag: गीत
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