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20 Mar 2020 · 1 min read

वज्र सीख

प्रभुहि न देहि क्लेश दुःख ।
सर्व कारण आप ही ।।
उलूक देख न वार मे ।
सो दोष रवि नाहि ।।

हरेक मनु गुलाम मनहि ।
जीवन सफल न सोय ।।
सोई जीवन सफल है ।
जाकर मन वश होय ।।

मन पतंग ध्यान डोर स ।
उङत जात नभ माहि ।।
डोर को कर संभल रख ।
छूटत पाताल जाहि ।।

ध्यान ज्ञान की खान है ।
जस जल सिंधु समाहि ।।
लगा डुबकी मुक्ता मिले ।
न तो देख परछाहि ।।

शहर गए धन अर्जन को ।
लूट लिए सब दलाल ।।
चड्ढी बनियान बच गए ।
चलो समझ के चाल ।।

कोरोना से डरोना ।
करो सुरक्षा सारे ।।
मास्क लगा धवल बनो ।
चमकने दो तारे ।।

दुनिया रीत विपरीत है ।
क्या कहु मै भाई ।।
जाहि अहि क्षीर पिलाई ।
वहि सो डस्यो जाई ।।

भौतिक विधा पाय कर ।
मनहि कर अंहकार ।।
सो ज्ञान क्षण विनसि जाय ।
जब पहुंचे यम द्वार।।

नारि नरक का द्वार है ।
या अमृत की खान ।।
नारी पाछे जो पङा ।
सो कछु दिन मे जान ।।

यह दुनिया माया नगरी ।
दिखाए ऐसे माय ।।
सुर -नर मुनि सब देखकर ।
हो जाते भरमाय ।।

रात खाना खाई के ।
मलमल दियो बिछान ।।
चादर ताने सो गये ।
कुछ न किया प्रभु ध्यान ।।

## RJ Anand Prajapati ##

Language: Hindi
1 Comment · 260 Views
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