वज़्न —221 1221 1221 122 बह्र- बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुखंन्नक सालिम अर्कान-मफ़ऊल मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु फ़ऊलुन
तला
हम आशिक़ हैं मक़्तल में नाम करेंगे ।
ये हुस्न के चर्चे तुझे गुलफाम करेंगे।
#शेर
महफ़िल में हमारी तेरा जब ज़िक्र चलेगा,
हम इश्क़ में महफिल वो तेरे नाम करेंगे।
#शेर
हर शख़्स यहाँ कहते यही घूम रहा है,
इक रोज़ सनम आप ही बदनाम करेंगे।
#शेर
जो धर्म की ले आड़ सदा वोट बटोरें,
इस मुल्क का सोचो वो क्या अंजाम करेंगे।
#गिरह
ग़र जान भी देनी हो मेरे देश की खातिर,
हम छोड़ के सौ काम वही काम करेंगे।
#मक़्ता
आएगा कभी वक़्त एहतराम का ‘नीलम’
फिर शाम-ओ-सहर को हम इंजमाम करेंगे।
नीलम शर्मा ✍️
इंजमाम- एकत्र
मक़्तल-रणभूमि
एहतराम-मान सम्मान