वचन (बाल कथा)
पेड़ पर बैठी चिड़िया ने सोचा। मैं अपना एक घोंसला बनाऊंगी। जिसमें छोटे छोटे बच्चे रहेंगे और जिनको मैं दाना लाकर खिलाऊँगी। फिर वे जब बड़े हो जाएंगे तो उन्हें उड़ना सिखाऊँँगी। यह सोचकर चिड़िया ने तिनके इकट्ठा कर उस पेड़ की की शाख पर एक जगह उसने घोंसला बनाना शुरु कर दिया। धीरे धीरे उसने उस घोसले को बड़ी जतन से बनाकर पूरा किया किया । और उसमें अपने दो अंडे देकर सुरक्षित रख दिए । अपने अंडों को वह रोज सेती रहती। कुछ दिन बाद उन अंडों से से दो छोटे-छोटे सुंदर से बच्चे पैदा हुए । जो हमेशा चीं चीं करते रहते थे। चिड़िया उन्हे रोज दाना लाकर खिलाती । धीरे धीरे समय बीतते बच्चे बड़े होने लगे । चिड़िया ने उनको घौंसले से बाहर लाकर उड़ना सिखाना शुरू कर दिया। उसने अपने बच्चों के नाम सोनू और मोनू रखे। जिसमें सोनू बहुत शरारती था वह चिड़िया की बात नही मानता था। उसके समझाने के बावजूद वह दूर उड़कर चला जाता था । जिससे चिड़िया उसे ढूँढने मे परेशान हो जाती थी। एक दिन सोनू बहुत दूर उड़कर चला गया और रास्ता भटक गया। उड़ते उड़ते वह एक पास के घर के अन्दर चला गया। उस घर में एक झबरा कुत्ता था जो सोनू को देखकर भौंकने लगा उसे देखकर सोनू बहुत डर गया। तभी उस घर मे से एक छोटा लड़का जिसका नाम राजू था बाहर आया । वह सोनू को देखकर खुश हुआ । उसने अपने कुत्ते को चुप कराकर प्यार से सोनू को घर के अन्दर ले गया।राजू के पास बहुत से खिलौने थे। जिसमे बैटरी चलने वाली कार, रेलगाड़ी, गुड्डे,गुड़िया और दूसरे खिलौने थे। राजू ने सोनू को कार और रेलगाड़ी मे बिठाकर घुमाया और खाने के लिये बिस्कुट दिया।सोनू को इन सब में बड़ा मज़ा आया । सोनू और राजू दिन भर खेलते रहे। खेलते खेलते शाम हो गयी सोनू को माँ की याद आने लगी । उसे रोना आने लगा। राजू ने सोनू से कहा तुम मत रोओ मै तुम्हे तुम्हारी माँ के पास ले चलता हूँ। इधर सोनू को ढूँढते ढूँढते चिड़िया का बुरा हाल था । वह उसको ढूँढते ढूँढते थक गयी । हार कर एक पेड़ की डाली पर बैठकर उसका इन्तज़ार करने लगी। राजू ने अपनी छोटी सी सायकिल निकाली और उसके हैन्डिल पर सोनू को बिठाकर उसे छोड़ने निकल गया। चलते चलते वह लोगों से उस पेड़ का रास्ता पूछता गया। कुछ दूर निकलने सोनू की नज़र उसकी माँ पर पड़ी जो एक पेड़ की डाल पर बैठी रो रही थी। सोनू उसे देखते ही खुशी से चिल्लाया माँ! माँ !मै यहाँ हूँ । चिड़िया को उसे देखकर जान में जान आयी। वह तुरन्त उड़कर उसके पास पहुँची और उसे अपनी गोदी मे उठा लिया।
चिड़िया ने राजू को उसकी मदद का धन्यवाद दिया।
सोनू ने चिड़िया को वचन दिया कि वह हमेशा उसकी बात मानेगा और उसकी इच्छा विरुद्ध कोई ऐसा कदम नही उठायेगा जिससे वह परेशान हो जाये।