वक्त
, वक्त
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किसे पुकारें किसे नकारें ,
वक्त पुकारा करता है !
कोई लौट,लौट जाता है-
वक्त नकारा करता है !!
वक्त सदा करवट लेता है,
समझ सके सो समझ सके!
मन ,विवेक औआत्म साथ,तो-
वक्त सलामी करता,है !!
वक्त शहंशा वक्त भिखारी ,
बिन माँगे झोली भर दे !
कभी-कभी राजा भी देखो-
छुपा-छुपा सा फिरता है !!
जिस के अंदर खून दौड़ता,
वह तो दौड़ लगाएगा !
अजगर यूँ निष्कामी घोषित-
भूख लगे ,कुछ करता है !!
जहाँ वक्त की कीमत ना हो,
निष्कामों के देशों में !
हीरा जहाँ लतियाये जाये-
वक्त भी मारा फिरता है !!
दिन अच्छे या बुरे नहीं हैं,
परख बनाए भला-बुरा !
हंस और बगुले का अंतर-
ज्ञान कराया करता है !!
अक्सर इस दुनियां के अंदर,
मतलव से अच्छा होता !
कभी-अभी अमृत बेमानी –
जहर दोष-दुख हरता है !!
आत्म-पुकार अगर साँची हो,
घोष बिना सुन लेते हैं !
आत्म-मिलन की पराकाष्ठा-
आत्म ही निश्चित करता है !!
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मौलिक-चिंतन
—–25/01/2024—-
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