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6 Apr 2023 · 2 min read

#वक्त मेरे हत्थों किरया

🙏
● “समय का मोल उससे अधिक कौन जानता है, जिसने समय गंवा दिया हो . . . . . ।” कुछ ऐसे ही भावों को चित्रित किया गया है इस पंजाबी कविता में : ●
✍️

★ #वक्त मेरे हत्थों किरया ★

वक्त मेहरबान मेरा
वक्त वक्त ते आँवदै
वक्त इक ज़हरीली नागन
वक्त वक्त नूँ खांवदै
ना जांदा दिसदै निर्मोही
ख़्वरे किधरों आँवदै

वक्त मेरे हत्थों किरया . . . . .

वक्त मेरे हत्थों किरया
वक्त पत्थर दिल ते धरया
वक्त पहाड़ीं झरदे चोअ
वक्त हनेरे मित्तरां दी लोअ
वक्त बद्दल गज्ज-गज्ज आवण
वक्त धरती पाड़
ना रही मैं यारां जोगी
ना कोई मेरा यार

वक्त मेरे हत्थों किरया . . . . .

वक्त अम्बरीं सूरज चढ़या
वक्त हत्थीं ठूठा फड़या
वक्त दिल दियां दिल विच रहीयाँ
वक्त अक्खियाँ सब्भ कह गइयाँ
वक्त पींघां विच असमानीं
वक्त फुल्लां दे ख़ार
ना रही मैं नवीं नरोई
ना दिसदी बीमार

वक्त मेरे हत्थों किरया . . . . .

वक्त जो आखे मैं न मंन्नां
वक्त नपीड़े वांगूं गंन्ना
वक्त दे अग्गे शेर जो होवण
वक्त तों पहलां ढेर ओह होवण
वक्त फौजां फतह बुलावण
वक्त कंडयां दे हार
ना मैं गोली राजा जी दी
ना मेरी गुफ़्तार

वक्त मेरे हत्थों किरया . . . . .

वक्त रौणकां हासे-खेड़े
वक्त हंझू होर वी नेड़े
वक्त कंजर वक्त मरासी
वक्त उडारी वक्त चुरासी
वक्त दिल दरवेश सदींदा
वक्त अक्खियाँ चार
ना कोई साडे अग्गे-पिच्छे
ना कोई विचकार

वक्त मेरे हत्थों किरया . . . . .

वक्त वक्त दी मेहर असां ते
वक्त वक्त दा फेर असां ते
वक्त नींहां वक्त बनेरा
वक्त नाग है वक्त सपेरा
वक्त झिलमिल-झिलमिल तारे
वक्त असां दा प्यार
ना मैं घुंड चों बाहर आई
ना होए दीदार

वक्त मेरे हत्थों किरया . . . . .

वक्त खेती खसमां सेती
वक्त खुंबां उग्गियाँ
वक्त फरेबी पदभैड़े जंमें
वक्त कणकां लुग्गियाँ
वक्त धरती पूजण जोगी
वक्त है अणखीली मुटयार
ना मैं मरके मिट्टी होई
ना होई दस्तार

वक्त मेरे हत्थों किरया . . . . .

वक्त काली रात ग़मां दी
वक्त चिट्टा चादरा
वक्त जोगी तुरदा-फिरदा
वक्त साहां दा आसरा
वक्त हयाती मेरी साथण
वक्त है किश्ती बिन पतवार
ना पल्ले मेरे भाड़ा दमड़ी
ना कोई उतारे पार

वक्त मेरे हत्थों किरया . . . . . !

#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२

Language: Punjabi
138 Views
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