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5 Oct 2024 · 1 min read

वक्त घाव भरता मगर,

वक्त घाव भरता मगर,
भरता नहीं निशान ।
रह जाती है दर्द की,
दर्दीली पहचान ।।

सुशील सरना / 5-10-24

10 Views
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