Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Aug 2024 · 1 min read

वक्त की किमत

वक्त सिर्फ वक्त नहीं होता
इंसान- इंसान नहीं रहे।
है ईश्वर यहाँ दुनिया-दुनिया नहीं रही-
ना पानी है,ना पेड़ा -पौधे है।
जीवन जीना तो वक्त ने सिखाया
मुझे काबिल इंसान बनाया।
जीवन को जितना सजते हो
उतना ही महकता है।
दीप, सूर्य -तारा बन सकोगें,
तुम्है इस दुनिया में
उतना ही प्यार है।
मैं महसूस करती हूँ उस वक्त को
बहुत प्यारा है यह वक्त है ।
-अवनी

Language: Hindi
69 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"हादसों से हम सीखते नहीं हैं ll
पूर्वार्थ
जो विष को पीना जाने
जो विष को पीना जाने
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
विनम्रता, सादगी और सरलता उनके व्यक्तित्व के आकर्षण थे। किसान
विनम्रता, सादगी और सरलता उनके व्यक्तित्व के आकर्षण थे। किसान
Shravan singh
ख़ामोश सा शहर
ख़ामोश सा शहर
हिमांशु Kulshrestha
बेफिक्री
बेफिक्री
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
#कमसिन उम्र
#कमसिन उम्र
Radheshyam Khatik
"मौसम ने"
Dr. Kishan tandon kranti
मुक्तक
मुक्तक
पंकज परिंदा
*बदल सकती है दुनिया*
*बदल सकती है दुनिया*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
अबूजा और शिक्षा
अबूजा और शिक्षा
Shashi Mahajan
4035.💐 *पूर्णिका* 💐
4035.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
रंजीत कुमार शुक्ला
रंजीत कुमार शुक्ला
हाजीपुर
कुछ ऐसे भी लोग कमाए हैं मैंने ,
कुछ ऐसे भी लोग कमाए हैं मैंने ,
Ashish Morya
दम उलझता है
दम उलझता है
Dr fauzia Naseem shad
चुगलखोरों और जासूसो की सभा में गूंगे बना रहना ही बुद्धिमत्ता
चुगलखोरों और जासूसो की सभा में गूंगे बना रहना ही बुद्धिमत्ता
Rj Anand Prajapati
𑒫𑒱𑒬𑓂𑒫𑒏 𑒮𑒧𑒮𑓂𑒞 𑒦𑒰𑒭𑒰 𑒏𑒹𑒿 𑒯𑒧 𑒮𑒧𑓂𑒧𑒰𑒢 𑒠𑒻𑒞 𑒕𑒲 𑒂 𑒮𑒲𑒐𑒥𑒰 𑒏 𑒔𑒹𑒭𑓂𑒙𑒰 𑒮𑒯𑒼
𑒫𑒱𑒬𑓂𑒫𑒏 𑒮𑒧𑒮𑓂𑒞 𑒦𑒰𑒭𑒰 𑒏𑒹𑒿 𑒯𑒧 𑒮𑒧𑓂𑒧𑒰𑒢 𑒠𑒻𑒞 𑒕𑒲 𑒂 𑒮𑒲𑒐𑒥𑒰 𑒏 𑒔𑒹𑒭𑓂𑒙𑒰 𑒮𑒯𑒼
DrLakshman Jha Parimal
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ५)
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ५)
Kanchan Khanna
देख इंसान कहाँ खड़ा है तू
देख इंसान कहाँ खड़ा है तू
Adha Deshwal
एक मंज़र कशी ओस के संग 💦💦
एक मंज़र कशी ओस के संग 💦💦
Neelofar Khan
इंसान तो मैं भी हूं लेकिन मेरे व्यवहार और सस्कार
इंसान तो मैं भी हूं लेकिन मेरे व्यवहार और सस्कार
Ranjeet kumar patre
*महाकाल के फरसे से मैं, घायल हूॅं पर मरा नहीं (हिंदी गजल)*
*महाकाल के फरसे से मैं, घायल हूॅं पर मरा नहीं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
अधरों ने की  दिल्लगी, अधरों  से  कल  रात ।
अधरों ने की दिल्लगी, अधरों से कल रात ।
sushil sarna
जिसका समय पहलवान...
जिसका समय पहलवान...
Priya princess panwar
23, मायके की याद
23, मायके की याद
Dr .Shweta sood 'Madhu'
एक दूसरे से उलझकर जो बात नहीं बन पाता,
एक दूसरे से उलझकर जो बात नहीं बन पाता,
Ajit Kumar "Karn"
चक्रवृद्धि प्यार में
चक्रवृद्धि प्यार में
Pratibha Pandey
दुनिया कितनी निराली इस जग की
दुनिया कितनी निराली इस जग की
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
मैं
मैं
Vivek saswat Shukla
अब घोसले से बाहर निकलने को कहते हो
अब घोसले से बाहर निकलने को कहते हो
Trishika S Dhara
नाकाम किस्मत( कविता)
नाकाम किस्मत( कविता)
Monika Yadav (Rachina)
Loading...