वक्त कि ये चाल अजब है,
वक्त कि ये चाल अजब है,
धूल समझ वो, सबको रौंदे!
सभ्यता, सब छीण करके,
आज लुटेरे, साहब बन गए।
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राजनीति नस – नस में गूंजे,
सभ्य समाज अब नजर ना आवे,
अतीत की वो, बोली लगाकर,
जातिवाद के उद्गम बन गए।
✍️ ~ SPK Sachin Lodhi