वक्त का फैसला
हमें गुस्ताख तकब्बुर के साथ जीने दो
आजकल नेकियों को कौन याद रखता है
वैसे तो हमारी नेकियां
हमारी गुस्ताखियां से ज्यादा होंगी
हम चुप हैं कि कहीं तो हिसाब होगा…..
उमेंद्र कुमार
हमें गुस्ताख तकब्बुर के साथ जीने दो
आजकल नेकियों को कौन याद रखता है
वैसे तो हमारी नेकियां
हमारी गुस्ताखियां से ज्यादा होंगी
हम चुप हैं कि कहीं तो हिसाब होगा…..
उमेंद्र कुमार