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10 Jul 2024 · 1 min read

वक्त-ए -रुख़सत इन्हें चश्म से निकाला है ,

वक्त-ए -रुख़सत इन्हें चश्म से निकाला है ,
दर्द उल्फ़त का इन अश्कों ने बहुत संभाला है।

सुशील सरना

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