वक़्त बे-वक़्त तुझे याद किया
ग़ज़ल
वक़्त बे-वक़्त तुझे याद किया
हमने ख़ुद को यूँ ही बर्बाद किया
होती है तुझको घुटन दिल में मेरे
जा! तुझे क़ैद से आज़ाद किया
काट कर पंख रिहा करता है
तूने क्यों ज़ुल्म ये सय्याद किया
दफ़अतन वाह निकल जाता है
तूने जब भी कभी इरशाद किया
हिज्र में तेरे बिखर जाता हूँ
बारहा ख़ुद को तो फ़ौलाद किया
इक ख़ुशी के लिए हमने ख़ुद को
उम्र भर के लिए नाशाद किया
हमने उल्फ़त में तेरी ख़ुद को ‘अनीस’
कभी राँझा कभी फ़रहाद किया
-अनीस शाह ‘अनीस ‘