Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Mar 2023 · 1 min read

वक़्त बुरा यूँ बीत रहा है / उर में विरहा गीत रहा है

वक़्त बुरा यूँ बीत रहा है / उर में विरहा गीत रहा है
मन वीणा की तारें टूटीं / यूँ बिखरा संगीत रहा है
हार गया हूँ दिल की बाजी / बेदर्द जहां जीत रहा है
दर्द घटाये विरहा का जो / गीत वही मनमीत रहा है
जिसने समझी पीर-पराई / शख्स वही जगजीत रहा है
काल-कपाल पे चढ़ बैठा जो / अजर-अमर संगीत रहा है
—महावीर उत्तरांचली

3 Likes · 524 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
View all

You may also like these posts

शबे दर्द जाती नही।
शबे दर्द जाती नही।
Taj Mohammad
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
2577.पूर्णिका
2577.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
भारत अखंड है, अखंड ही रहेगा
भारत अखंड है, अखंड ही रहेगा
Harinarayan Tanha
हमारी खुशी हमारी सोच पर निर्भर है। हम शिकायत कर सकते हैं कि
हमारी खुशी हमारी सोच पर निर्भर है। हम शिकायत कर सकते हैं कि
Ranjeet kumar patre
पश्चाताप
पश्चाताप
Sudhir srivastava
*पल  दो  पल ठहर तो सही*
*पल दो पल ठहर तो सही*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
" धन "
Dr. Kishan tandon kranti
आप सभी को नववर्ष की हार्दिक अनंत शुभकामनाएँ
आप सभी को नववर्ष की हार्दिक अनंत शुभकामनाएँ
डॉ.सीमा अग्रवाल
त्याग
त्याग
डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Manoj Mahato
🔘सुविचार🔘
🔘सुविचार🔘
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
🇮🇳हमारे बूढ़ पुरनिया एक कहावत कहते थे।❤️ जो बचपन में बहुत सु
🇮🇳हमारे बूढ़ पुरनिया एक कहावत कहते थे।❤️ जो बचपन में बहुत सु
Rituraj shivem verma
In present,
In present,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
देह से देह का मिलन दो को एक नहीं बनाता है
देह से देह का मिलन दो को एक नहीं बनाता है
Pramila sultan
कुछ गहरा सा
कुछ गहरा सा
Kanchan Advaita
श्रेणी:हाइकु - डी के निवातिया
श्रेणी:हाइकु - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
बेफिक्र अंदाज
बेफिक्र अंदाज
SHAMA PARVEEN
#घर की तख्ती#
#घर की तख्ती#
Madhavi Srivastava
इबारत जो उदासी ने लिखी है-संदीप ठाकुर
इबारत जो उदासी ने लिखी है-संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
दस रुपए की कीमत तुम क्या जानोगे
दस रुपए की कीमत तुम क्या जानोगे
Shweta Soni
उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
Ashwini sharma
सत्य मंथन
सत्य मंथन
मनोज कर्ण
हम किसी का वाह्य स्वरूप ही देख पाते...
हम किसी का वाह्य स्वरूप ही देख पाते...
Ajit Kumar "Karn"
याद
याद
Ashok Sagar
बिल्ली की तो हुई सगाई
बिल्ली की तो हुई सगाई
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
2 _ लोग
2 _ लोग
Kshma Urmila
सोच
सोच
Neeraj Agarwal
*नारी को देवी कहो, नारी पूज्य महान (कुंडलिया)*
*नारी को देवी कहो, नारी पूज्य महान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
पुत्रमोह
पुत्रमोह
manorath maharaj
Loading...