वक़्त बुरा यूँ बीत रहा है / उर में विरहा गीत रहा है
वक़्त बुरा यूँ बीत रहा है / उर में विरहा गीत रहा है
मन वीणा की तारें टूटीं / यूँ बिखरा संगीत रहा है
हार गया हूँ दिल की बाजी / बेदर्द जहां जीत रहा है
दर्द घटाये विरहा का जो / गीत वही मनमीत रहा है
जिसने समझी पीर-पराई / शख्स वही जगजीत रहा है
काल-कपाल पे चढ़ बैठा जो / अजर-अमर संगीत रहा है
—महावीर उत्तरांचली