Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Dec 2020 · 4 min read

वक़्त का रिश़्ता

“वक़्त को कहां आता है लोगों के साथ मिलकर चलना, थोड़ा-सा फ़ासला होते ही बदल जाता है!” वो दिन याद तो है न तुम्हें जब तुम्हारा कॉलेज का पहला दिन था और तुम इस शहर में अपने आप को अकेली महसूस कर रहीं थीं। तब शायद आपको मैं ही मिला था क्या अपने दर्द बांटने के लिए और भी लोग तो थे, जो सुन सकते थे तुम्हारी बातें।
तब तुमने उन्हें क्यों नहीं समझा इस क़ाबिल कि उनसे अपने दर्द बांट सको। नहीं ऐसा कुछ नहीं है मुझे लगा था कि शायद आपसे बात करके मन हल्का हो जाएगा इस अकेलेपन में। इसलिए मैं तुम्हारे पास आई थी अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए। मैं तो नहीं आया था न तुम्हारे पास चलकर तुम्हीं आयीं थीं तो फिर क्या मुश़्किलें हैं तुम्हें…? बताओ तो सही।

मैंने ज़िंदगी में किसी से इतनी मोहब्बत नहीं की जितनी कि आपसे की है और आज ज़िंदगी में पहली दफ़ा कुछ खोने का डर आया है! प्लीज़, मुझे माफ़ कर दो एक दफ़ा, सिर्फ़ एक दफ़ा। हो गया या कुछ रह गया है अब मेरी बात सुनो, “तुम्हारा सच, तुम्हारा प्यार, तुम्हारी नफ़रत और तुम्हारा बदला तुम्हारी हर चीज़ में तुम्हारी मैं जुड़ी है, तुम अपनी जात में क़ैद हो ऐसा इंसान अपने अलावा किसी का नहीं हो सकता!”

“इंसान इस दुनिया में अकेला ही आता है और अकेला ही चला जाता है, इसमें कौन-सी बड़ी बात है!” क्या हुआ तुम्हें…? क्यों कर रहे हो ऐसी बातें…? तो क्या कहूं खुशियां मनाऊं दुनिया को बताऊं कि देखो मेरी मोहब्बत नज़रें चुराने लगी है मुझसे जो कल तक मरता था हम पर अब उसे नाम भी अच्छा नहीं लगता हमारा। न मेरी जान! बस, जान मत कहना मुझे क्योंकि यह जान निकल गई न तो बिन मौत मारी जाओगी, कुछ नहीं बचेगा इस दुनिया में तुम्हारे पास! हकीक़त तो यह है कि- “तुम मेरी किस्मत में लिक्खे ही नहीं हो क्योंकि इंसान अपने आप से तो लड़ सकता है लेकिन किस्मत से नहीं!” बस ऐसी ही होती है एक मोहब्बत कि एक इंसान चंद क़दम साथ चलकर छोड़ दे! यार, तुमने यह भी नहीं सोचा कि लोग क्या कहेंगे…? नहीं, मैंने सिर्फ़ प्यार किया था अगर तुमने भी किया होता तो यह सब न कह रही होतीं। मैं अब भी तुमसे मोहब्बत करती हूं, नहीं! कैसे यकीन दिलाऊं तुम्हें…? तुम्हारी मोहब्बत और हमारा रिश़्ता सब एक धोखा था न,तुम्हारा मक़सद क्या था हमारी ज़िन्दगी में आने का…? तुमने मेरी जात और मोहब्बत की तौहीन की है मैं तुम्हें कभी माफ़ नहीं करूंगा! मेरी बात तो सुनो,ख़बरदार जो मुझे एक शब्द भी कहा इस क़ाबिल नहीं हो तुम और दुबारा अपनी ज़ुबान से भी मेरा नाम मत लेना वर्ना ज़ुबान खींच लूंगा…!

कल तक तो “तुम्हारा फ़्यूचर और हमारी लाईफ़ सब एक थे!” अब आज ऐसा क्या हुआ…? यार, तुम समझा करो,मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती लेकिन हालात कुछ ऐसे हैं…? बस यहीं रहने दो इस कहानी को! तुम बात तो सुनो, क्या सुनूं बस यही कि “मम्मी नहीं मान रही हैं!” क्या नहीं मान रही हैं मम्मी…? बस यही कि मैं आपसे बात करूं…? ओह! इतनी-सी बात तुमने पहले क्यों नहीं बताई…? क्या बताती, अरे यही! जब तुम पहली बार मिलीं थीं तब क्या तुमने मम्मी से पूंछकर बात की थी मुझसे… और ये जो बार-बार तुम पूंछती हो न तुमने खाना खाया कि नहीं तो एक बात याद रखना मेरी कि – “पूरी दुनिया में कोई ऐसा इंसान नहीं है जिसे भूख लगे और वो खाना न खाए!” खाऊंगा तो मैं खाऊंगा और भूखा रहूंगा तो मैं रहूंगा न कि तुम तो इसलिए तुम्हारे पूंछने और न पूंछने से कोई फर्क़ नहीं पड़ता है मुझे!

यार! तुम समझने की कोशिश करो। अच्छा, चलो मान लिया मम्मी नहीं मानेंगी, लेकिन यह तो बताओ कि प्यार तुम्हें करना है या मम्मी को…? बस यही ज़िद तुम्हारी ठीक नहीं है! क्या ज़िद ठीक नहीं है…? जो तुम बोल रहे हो। अगर तुम नहीं रहना चाहती साथ तो मत रहो लेकिन एक बात याद रखना, क्या…? अरे ! यही कि “एक रिश़्ता ख़त्म हो जाने से सब कुछ ख़त्म नहीं हो जाता,उसका एक हिस्सा संभाल के रखा जाता है!” क्या संभाल के रखा जाता है बताओ तो सही…? यादें! क्या तुम भूल पाओगी मुझे…? हां,तुम्हारा तो पता नहीं याद रखो या न रखो लेकिन मैं तुम्हें नहीं भूल पाऊंगा!

मैं तुम्हें छोड़ नहीं रही हूँ जो तुम्हें भूलूंगी या नहीं, तो फिर क्या है यह सब…? यार आज तक मम्मी ने मेरी हर बात मानी है, अगर आज वो कहती हैं और मैं उनकी बात न मानूं तो उन पर क्या गुज़रेगी…? ओह! तो तुम मम्मी के लिए मुझे छोड़ दोगी, तो यह सिला दोगी मुझे मेरे इतने दिनों के साथ का। वो बात नहीं है यार,तुमसे कितनी बार कह चुकी हूँ…? चलो ठीक है,तुम्हारा क्या है तुम्हें तो अगले वर्ष भी कॉलेज आना है…? अभी तो तुम्हारा दूसरा साल है न लेकिन हमारा तो अंतिम साल है हमें तो जाना ही होगा। कुछ दिनों के बाद वैसे भी अब मैं यह कॉलेज छोड़कर जाऊंगा। कहाँ जाओगे…क्यों बताना जरूरी है क्या…? हां, तो सुनो! इस शहर से दूर जहां से तुम दिखाई न दो! मेरे पास यही एकमात्र उपाय है तुमसे दूर रहने का। जिससे तुम्हें ये रोज़-रोज़ के फोनों से भी आज़ादी मिल जाऐगी और मम्मी की बात भी मान लोगी।

सुनो, बहुत मुश़्किल होता है किसी का टूटकर जुड़ पाना! तुम्हारा मन है और मम्मी भी चाहती हैं तो बेहतर होगा कि अब तुम वापस मत आना क्योंकि अब मैं तुम्हें स्वीकार भी नहीं कर पाऊंगा! वो इसलिए क्योंकि मैं किसी शोरुम का वो टुकड़ा नहीं हूं जो हर बार यूं ही सजा मिलूं! मैं भी एक इंसान हूं मुझे भी दर्द होता है और हां,सुनो! बस एक बार फोन जरूर कर लेना…!

अलविदा दोस्त…!???

Language: Hindi
603 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ज़िन्दगी एक बार मिलती हैं, लिख दें अपने मन के अल्फाज़
ज़िन्दगी एक बार मिलती हैं, लिख दें अपने मन के अल्फाज़
Lokesh Sharma
जय श्री राम।
जय श्री राम।
Anil Mishra Prahari
चल विजय पथ
चल विजय पथ
Satish Srijan
जीवनाचे वास्तव
जीवनाचे वास्तव
Otteri Selvakumar
नश्वर संसार
नश्वर संसार
Shyam Sundar Subramanian
उतरे हैं निगाह से वे लोग भी पुराने
उतरे हैं निगाह से वे लोग भी पुराने
सिद्धार्थ गोरखपुरी
नारी शक्ति
नारी शक्ति
भरत कुमार सोलंकी
" बंध खोले जाए मौसम "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
सोच
सोच
Neeraj Agarwal
44...Ramal musamman maKHbuun mahzuuf maqtuu.a
44...Ramal musamman maKHbuun mahzuuf maqtuu.a
sushil yadav
4505.*पूर्णिका*
4505.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
यूं हाथ खाली थे मेरे, शहर में तेरे आते जाते,
यूं हाथ खाली थे मेरे, शहर में तेरे आते जाते,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
वह कहते हैं, बच कर रहिए नज़र लग जाएगी,
वह कहते हैं, बच कर रहिए नज़र लग जाएगी,
Anand Kumar
जिसे हम हद से ज्यादा चाहते है या अहमियत देते है वहीं हमें फा
जिसे हम हद से ज्यादा चाहते है या अहमियत देते है वहीं हमें फा
रुपेश कुमार
जो लड़की किस्मत में नहीं होती
जो लड़की किस्मत में नहीं होती
Gaurav Bhatia
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बिन पैसों नहीं कुछ भी, यहाँ कद्र इंसान की
बिन पैसों नहीं कुछ भी, यहाँ कद्र इंसान की
gurudeenverma198
रिश्ते कैजुअल इसलिए हो गए है
रिश्ते कैजुअल इसलिए हो गए है
पूर्वार्थ
संस्कारों और वीरों की धरा...!!!!
संस्कारों और वीरों की धरा...!!!!
Jyoti Khari
सकारात्मक सोच
सकारात्मक सोच
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल _ आज उनको बुलाने से क्या फ़ायदा।
ग़ज़ल _ आज उनको बुलाने से क्या फ़ायदा।
Neelofar Khan
बदल गया परिवार की,
बदल गया परिवार की,
sushil sarna
हर मंजिल के आगे है नई मंजिल
हर मंजिल के आगे है नई मंजिल
कवि दीपक बवेजा
आंगन की किलकारी बेटी,
आंगन की किलकारी बेटी,
Vindhya Prakash Mishra
आत्मविश्वास
आत्मविश्वास
Dipak Kumar "Girja"
"गलतियाँ"
Dr. Kishan tandon kranti
ये जिंदगी गुलाल सी तुमसे मिले जो साज में
ये जिंदगी गुलाल सी तुमसे मिले जो साज में
©️ दामिनी नारायण सिंह
इश्क़ में ज़हर की ज़रूरत नहीं है बे यारा,
इश्क़ में ज़हर की ज़रूरत नहीं है बे यारा,
शेखर सिंह
🙅ख़ुद सोचो🙅
🙅ख़ुद सोचो🙅
*प्रणय*
जिसे छूने से ज्यादा... देखने में सुकून मिले
जिसे छूने से ज्यादा... देखने में सुकून मिले
Ranjeet kumar patre
Loading...