वंदना
वंदना
भुजंग प्रयात
विधान:: चार चरण यगण कुल १२वर्ण
122 122 122 122
दो दो चरण समतुकांत
कहे आज सीते सुनो तो बिहारी|
रही राम मैं तो सदा से पुजारी||
अयोध्या दुलारे तुम्हीं को निहारे|
दुखारे हमेशा जपे हैं पुकारें||
हमें राम भक्ति तिहारी बुलाती|
जपे राम सीता हमें है सिखाती||
मिटा भेद प्रभू भक्तों को बुलाते|
सुधा प्रेम की नित्य देखो पिलाते||
अहिल्या बुलाती कहां हो विधाता|
कहे केवटी आज आ राम दाता||
खड़े द्वार तेरे दिखा दर्श आजा|
गिरें पांव तेरे प्रभो रंक राजा||
कुमुद श्रीवास्तव वर्मा कुमुदिनी लखनऊ