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4 Jan 2024 · 1 min read

लौट कर फिर से

बदले कितने
यहाँ ज़माने हैं।
ढरें ज़िंदगी के
बही पुराने हैं ।।
लौट कर फिर से
आ न सके ।
मौसम बचपन के
वो सुहाने हैं ।।
वक़्त-ए-मुश्किल में
हर लम्हा हमको ।
हौसले खुद के
आज़माने हैं ।।
ज़िंदगी हमको दे
ज़रा मोहलत ।
खुद से वादे
कई निभाने हैं ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
3 Likes · 203 Views
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