लौटे स्वर्णिम दौर
द्वापर युग में घृत मिला, त्रेता युग में दुग्ध
कलयुग में सब चाय पी, हो रहे मंत्र मुग्ध
हो रहे मंत्र मुग्ध, पड़े खाने के लाले
महंगाई हर ओर, उदर में क्या तू डाले
महावीर कविराय, दिखे सपना ये अक्सर
लौटे स्वर्णिम दौर, बने कलयुग भी द्वापर
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