*लोग मुस्कुराते हैं 【हास्य-व्यंग्य 】*
लोग मुस्कुराते हैं 【हास्य-व्यंग्य 】
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मुस्कुराने की कई किस्में होती हैं। कुछ लोग मुस्कुराते हैं, मगर सामने वाला समझ नहीं पाता कि यह आदमी मुस्कुराया या इसने हल्की जम्हाई ली है।
कुछ लोग मुस्कुराते समय भी सूरत हमेशा की तरह रोनी बनाए रखते हैं। कुछ लोग जिन्दगी में कभी नहीं मुस्कुराते । आप याद करें तो आपको याद ही नहीं आएगा कि आपने उन्हें कभी मुस्कुराते भी देखा था।
कुछ लोग कभी-कभी इसलिए मुस्कुराते हैं कि बाकी सब लोग मुस्कुरा रहे होते हैं। कुछ लोगों को घर से चलते समय हिदायत दे दी जाती है कि मुस्कुराते रहना। यह नहीं कि मुँह टेढ़ा करने बैठे रहो। तो, वे बार-बार चेक करते रहते हैं कि मुँह टेढ़ा तो नहीं हो गया है।
फोटो खींचते समय फोटोग्राफर आमतौर पर मुस्कुराने के लिए कहता है। अनेक लोग जिंदगी में तभी मुस्कुराते हैं ,जब उन्हें फोटो खिंचवाना होता है ।
कुछ की मुस्कुराहर ऐसी होती है कि मानो इन्हें किसी ने मार-मारकर मुस्कुराया है। कई बार मुस्कुराहर प्रशंसा-भरी होती है। कुछ मुस्कुराहटों में उपेक्षा या आलोचना का भाव रहता है। मोनालिसा की मुस्कान जग-प्रसिद्ध है। पब्लिसिटी हो तो,कोई भी मुस्कान मशहूर हो सकती है। मुस्कान एक साधारण-सी बात है। सहज प्रक्रिया। फिर भी अगर हम यह सुनें कि बाजार में छह सौ रुपये की फीस लेकर मुस्कुराने का कोर्स सिखाया जाता है, तो आश्चर्य नहीं।
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लेखक : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
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