लोग तो बस यही चाहते?
किसी तरह तुम्हारा घर तो जले?
लोग तो बस यही चाहते?
झूठे आँसू बहाने वाले भी इसी फिराक़ मे?
मुस्तैदी से तुम अपना घर महफ़ूज रखो.
शायर- किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)
किसी तरह तुम्हारा घर तो जले?
लोग तो बस यही चाहते?
झूठे आँसू बहाने वाले भी इसी फिराक़ मे?
मुस्तैदी से तुम अपना घर महफ़ूज रखो.
शायर- किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)