Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Jun 2024 · 1 min read

लोग टूट जाते हैं अपनों को मनाने में,

लोग टूट जाते हैं अपनों को मनाने में,
ताउम्र तरसते हैं अपने रिश्ते बचाने में,

पता नहीं गलतफहमियां कब दूर होंगी,
वो डर जाते हैं, अपनों का साथ छूट जाने में

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

26 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मन के सवालों का जवाब नाही
मन के सवालों का जवाब नाही
भरत कुमार सोलंकी
देर आए दुरुस्त आए...
देर आए दुरुस्त आए...
Harminder Kaur
संवेदना ही सौन्दर्य है
संवेदना ही सौन्दर्य है
Ritu Asooja
मुट्ठी भर रेत है जिंदगी
मुट्ठी भर रेत है जिंदगी
Suryakant Dwivedi
संवेदना(कलम की दुनिया)
संवेदना(कलम की दुनिया)
Dr. Vaishali Verma
*संवेदनाओं का अन्तर्घट*
*संवेदनाओं का अन्तर्घट*
Manishi Sinha
शासक सत्ता के भूखे हैं
शासक सत्ता के भूखे हैं
DrLakshman Jha Parimal
*कभी मस्तिष्क से ज्यादा, हृदय से काम लेता हूॅं (हिंदी गजल)*
*कभी मस्तिष्क से ज्यादा, हृदय से काम लेता हूॅं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
कभी सोचता हूँ मैं
कभी सोचता हूँ मैं
gurudeenverma198
सोच...….🤔
सोच...….🤔
Vivek Sharma Visha
प्यार के मायने
प्यार के मायने
SHAMA PARVEEN
इंसान एक दूसरे को परखने में इतने व्यस्त थे
इंसान एक दूसरे को परखने में इतने व्यस्त थे
ruby kumari
मालिक मेरे करना सहारा ।
मालिक मेरे करना सहारा ।
Buddha Prakash
उद् 🌷गार इक प्यार का
उद् 🌷गार इक प्यार का
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मैं हर इक चीज़ फानी लिख रहा हूं
मैं हर इक चीज़ फानी लिख रहा हूं
शाह फैसल मुजफ्फराबादी
विश्व हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
विश्व हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Lokesh Sharma
बुद्ध फिर मुस्कुराए / मुसाफ़िर बैठा
बुद्ध फिर मुस्कुराए / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
3011.*पूर्णिका*
3011.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिंदगी का एक और अच्छा दिन,
जिंदगी का एक और अच्छा दिन,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शुक्रिया कोरोना
शुक्रिया कोरोना
Dr. Pradeep Kumar Sharma
😢युग-युग का सच😢
😢युग-युग का सच😢
*प्रणय प्रभात*
न ख्वाबों में न ख्यालों में न सपनों में रहता हूॅ॑
न ख्वाबों में न ख्यालों में न सपनों में रहता हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
बुझ गयी
बुझ गयी
sushil sarna
ईर्ष्या
ईर्ष्या
Dr. Kishan tandon kranti
Anxiety fucking sucks.
Anxiety fucking sucks.
पूर्वार्थ
बिन गुनाहों के ही सज़ायाफ्ता है
बिन गुनाहों के ही सज़ायाफ्ता है "रत्न"
गुप्तरत्न
Empty pocket
Empty pocket
Bidyadhar Mantry
दीप की अभिलाषा।
दीप की अभिलाषा।
Kuldeep mishra (KD)
सांसों का थम जाना ही मौत नहीं होता है
सांसों का थम जाना ही मौत नहीं होता है
Ranjeet kumar patre
Loading...