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21 Sep 2024 · 1 min read

लोगों की मजबूरी नहीं समझ सकते

लोगों की मजबूरी नहीं समझ सकते
तो तुम इंसान नहीं….
जैसे शरीर हो कोई हट्ठा कट्ठा
और उसमें हो जान नहीं….

…. अजित कर्ण ✍️

1 Like · 89 Views

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