लोक डाउन में उपयोगी टिप्स मुक्तक के जरिये
★ लोक डाउन में उपयोगी टिप्स*
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बंधें घर पर रहेंगे तो ,बताओ खाएंगे क्या जी?
किया वो ही बताने का ,जतन मैंने यहाँ पर जी।
मगर हर हाल में रहना ,पड़ेगा घर के अंदर ही,
हराना गर करोना है ,तो समझो बात को यूँ जी?
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कढ़ी अरु लापसी गुड़ की , या फिर घिंघटा ले लो।
ज़रा खिचड़ी या फिर तुम खीचड़ा लेलो।
फली जो भी मिले घर मे मसलन ग्वार या सूखी,
बनालो दाल चावल भी ,जरा सी राबड़ी ले लो।
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पड़ा हो घर मे दलिया तो ,मजा उसका भी तुम देखो।
बना लो बाजरी कुटिया, बना कर खीर तुम देखो।
लपटी गुड़ बनाकर जो ,कभी खाई हो तो अच्छी ,
पड़ा पापड़ हो तो उसकी भी बनाकर साग तुम देखो।
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चना ओर मूंग की दाले ,बड़ी ही काम आयंगी।
मिले तो रायता डेली ,न सब्ज़ी याद आयेगी।
कड़ी हफ्ते में तुम लेना ,नही 3 बार से ज्यादा ,
नही तो पेट की हड़ताल फिर याद आयेगी।
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गट्टे बेसन के भी नही दो बार से ज्यादा।
ये छोले मगोंड़ी भी , चाहे बेलेंस का वादा।
चलो चटनी भी देखो तो ,बना सकते है हर कोई।
वो लहसुन प्याज की हो या ,फिर हो भले सादा।
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चलेगी चाट जैसी चटपटी ,चटनी छुआरे की।
निकालो जूस फिर पीलो ,उगाकर तुम जवारे की।
गए थे भूल हम जिसको , वो मूंगफली चटनी ,
दिलाती याद हमको जो ,बिताया पन कुंवारे की।
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अगर आलू पड़ा घर मे तो समझो मौज ही मानो।
बना सब्ज़ी अकेले की,किसी के संग मिलवालो।
कभी चटनी आलू की तो ,कभी हलवा भी बनता है,
वो वेपरस के चश्के तो लगे सबको ही भालो।
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करो कुछ मूंग अंकुरित, चने या गेहूं जैसा कुछ,
पड़ा नमकीन घर मे हो तो उसके साथ जैसा कुछ।
ये सब्ज़ी सांगरी वाली ,अचार करुंदी का ,
सभी टाइप के आचार घर के हो वैसा कुछ न कुछ।
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कलम घिसाई