लोकोक्तियों से दोहे
जैसी औढ़ी कामली, वैसा ओढ़ा खेश l
न तो ना रहेगा सही, तन पर सुंदर वेश ll
जैसी चले बयार तब, तैसी दीजे ओट l
नहीं तो सही बदन में, पैदा होबे खोट ll
जैसी तेरी तोमरी, वैसे मेरे गीत l
दाम दम सहज काम दम, यही है सही रीत ll
जैसे कन्ता घर रहे, वैसे रहे विदेश l
नाकारों को त्यागना, सही सही उपदेश ll
जैसे को तैसा मिले, मिले डोम को डोम l
सहज चरित्र बना बना, सही से बढे कोम ll
दाता को दाता मिले, मिले सूम को सूम l
चलाये रख सदा सदा, तोल व मोल मुहीम ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न