Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jul 2023 · 1 min read

#लोकराज की लुटती लाज

🙏
[ यह कविता छह जनवरी २०२१ को लिखी गई थी। आज कृषिसुधार(?) कानूनों की वापसी पर पुनर्प्रसारित है। ]
१९-११-२०२१

★ #लोकराज की लुटती लाज ★

भीड़ जब नहीं टली
तर्क की नहीं चली
शल्य हठी गली गली
दुर्युक्तियों के खेल में
तमस उमस के मेल में
सच हुआ नहीं बली
भारती गई छली

भीड़ जब नहीं टली . . .

कसमसा रहा समाज
पीर भरी देहछाज
कोढ़ में छिड़ी है खाज
गलियों में शोर है
कौन किसकी ओर है
मूक बधिर लोकराज
उसीकी लुट रही है लाज

कसमसा रहा समाज . . .

बिका हुआ सामान वहाँ
मुंड मुंड प्रधान वहाँ
नि:शुल्क सब दुकान वहाँ
छत्र चंवर जो हीन हुए
इक कौड़ी के तीन हुए
बीत चुके राजान वहाँ
और कुछ किसान वहाँ

बिका हुआ सामान वहाँ . . .

पथ पथिक नए नए
मीत प्रीत खो गए
अनजाने हो गए
चुभता हिरदे में शूल
छाँव को तरसे बबूल
आँखों को धो गए
तुम जो दिन में सो गए

पथ पथिक नए नए . . .

विजयश्री तुम्हें वरे
भूत हों परे परे
अरि रहें सदा डरे
लौट तो जाओगे तुम
प्रश्न छोड़ जाओगे तुम
शुभ कर्मों से नहीं टरे
कौन हित किसका करे

विजयश्री तुम्हें वरे . . .

आज कहें इक सत्यकथा
तथा प्रजा राजा यथा
बीती बिसरी हुई प्रथा
होंगे हम राजा जिस दिन
लौटाएंगे सब गिन गिन
होगा अपना सूरज अपना माथा
तू न बिका जो मैं न बिका
तू न बिका जो मैं न बिका . . . !

६-१-२०२१
{ इसी विषय पर बारह जुलाई का लेख “#कृषिसुधार(?) #कानून” भी देखें। }

#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०१७३१२ — ७०२७२१७३१२

Language: Hindi
49 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पेशवा बाजीराव बल्लाल भट्ट
पेशवा बाजीराव बल्लाल भट्ट
Ajay Shekhavat
ओ! चॅंद्रयान
ओ! चॅंद्रयान
kavita verma
मैं इन्सान हूं, इन्सान ही रहने दो।
मैं इन्सान हूं, इन्सान ही रहने दो।
नेताम आर सी
इश्क़ किया नहीं जाता
इश्क़ किया नहीं जाता
Surinder blackpen
वृक्ष पुकार
वृक्ष पुकार
संजय कुमार संजू
इश्क में तेरे
इश्क में तेरे
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
"Know Your Worth"
पूर्वार्थ
कभी ना होना तू निराश, कभी ना होना तू उदास
कभी ना होना तू निराश, कभी ना होना तू उदास
gurudeenverma198
मस्ती का त्योहार है होली
मस्ती का त्योहार है होली
कवि रमेशराज
*......हसीन लम्हे....* .....
*......हसीन लम्हे....* .....
Naushaba Suriya
जी करता है , बाबा बन जाऊं – व्यंग्य
जी करता है , बाबा बन जाऊं – व्यंग्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
चाँद सी चंचल चेहरा🙏
चाँद सी चंचल चेहरा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
इस कदर आज के ज़माने में बढ़ गई है ये महगाई।
इस कदर आज के ज़माने में बढ़ गई है ये महगाई।
शेखर सिंह
मजदूर
मजदूर
Harish Chandra Pande
भजलो राम राम राम सिया राम राम राम प्यारे राम
भजलो राम राम राम सिया राम राम राम प्यारे राम
Satyaveer vaishnav
*प्रखर राष्ट्रवादी श्री रामरूप गुप्त*
*प्रखर राष्ट्रवादी श्री रामरूप गुप्त*
Ravi Prakash
यहां लोग सच बोलने का दावा तो सीना ठोक कर करते हैं...
यहां लोग सच बोलने का दावा तो सीना ठोक कर करते हैं...
Umender kumar
कैसे भूल जाएं...
कैसे भूल जाएं...
इंजी. संजय श्रीवास्तव
परदेसी की  याद  में, प्रीति निहारे द्वार ।
परदेसी की याद में, प्रीति निहारे द्वार ।
sushil sarna
हे पिता ! जबसे तुम चले गए ...( पिता दिवस पर विशेष)
हे पिता ! जबसे तुम चले गए ...( पिता दिवस पर विशेष)
ओनिका सेतिया 'अनु '
आदर्श शिक्षक
आदर्श शिक्षक
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
नीलेश
नीलेश
Dhriti Mishra
"बिरसा मुण्डा"
Dr. Kishan tandon kranti
बचपन में थे सवा शेर जो
बचपन में थे सवा शेर जो
VINOD CHAUHAN
हर दर्द से था वाकिफ हर रोज़ मर रहा हूं ।
हर दर्द से था वाकिफ हर रोज़ मर रहा हूं ।
Phool gufran
*आओ हम वृक्ष लगाए*
*आओ हम वृक्ष लगाए*
Shashi kala vyas
2558.पूर्णिका
2558.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
खुद्दार
खुद्दार
अखिलेश 'अखिल'
आदि विद्रोही-स्पार्टकस
आदि विद्रोही-स्पार्टकस
Shekhar Chandra Mitra
सुदामा कृष्ण के द्वार (1)
सुदामा कृष्ण के द्वार (1)
Vivek Ahuja
Loading...