Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Oct 2022 · 4 min read

लोकदेवता :दिहबार

लोकमैथिली भाषीके गजब आ सजीव पेन्टिङ ! जय दिहबार बाबा , जय ग्राम देवता ! हमर गामक दिहबार थान एहने छै, आनो गाममे अहिना भेटयैक छै । एकरा ग्रामदेवता सेहो कहल जाइछ । बाबाके सामुहिक रूप सॅ समस्त ग्रामिणसभ मिलके अखरहुआ पुजामे मुंगवा लडू चढबैत छै। प्रसादके रूपमे जाइत/परजाइत सभके बाँटल जाइछ । बाबाक’ थान गाछीतर भण्डारा आ बाबाजीक’ धियान त नियमित होइते रहैछ ।
बाबा थानतर भण्डारामे चुरा,दहि, चिनी आ अमोट आडमणी लेनिहार साधुसन्तके खुवाओल जाइछ । कहियो बकेनमा भैसीक दूधमे पकाओल गेल खीर सेहो धियानक प्रसाद होइछ । ई विशुद्ध प्रकृति पुजा अछि । माटिके #धुपदानीमे सरर, धुमनके धुप बाबाके देखाओल जाइछ । अखन #अगरबत्ती बेसी प्रयोग होइछ । गामक दर्जी (मुस्लिम समूदाय) द्वारा बनाओल गेल चनमा दिहबार बाबाके अनिवार्य चढाओल जाइछ । #दशहरामे सउझुका दीप दश दिन तक नेसल जाइछ । झिझिया नृत्यगानमे चर्चा भेल बरहबाबा एहा दिहबार छियैक । …..साक्षात् दिहबार बाबाके अपन सजीव पेन्टिङ मार्फत् जन-जनके समक्ष लएबाक लेल भाई #हरिओम_मेहताके बहुत-बहुत धन्यवाद तथा शुभकामना !
‘दिहबार बाबाके ब्राह्मणीकरण’
सम्पूर्ण विश्वके समस्त मैथिलके एक मंच पर आनय लेल अपनाके एक प्रतिबद्ध संगठन दाबी करैवाला ‘मैथिल मंच’ दिहबार बाबाके ब्राह्मण बनेबाक आतुर देखा रहल अछि । कहैले त ई संगठन अपनाके मिथिलाके एतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक आ राजनीतिक धरोहरके सहेजकय विश्वपटल पर ‘मिथिला’ के पहचान पुनः स्थापित करयलेल सक्रिय रहल बात करैत अछि । मुद्दा अई संस्थाके हिडेन भेस्ट इन्ट्रेस्ट मिथिलामे ‘ब्राह्मणवाद’ के प्रचार बुझाइछ । अइ संगठनद्वारा संचालित अनलाइन ‘मैथिल मंच इन’ मे प्रस्तुत कयल गेल सामग्रीके किछु अंश एतेह परैस रहल छी । यी सामग्री पढलाके बाद अहा हमर ग्रामदेवता ‘दिहबार बाबा’ नय ‘ब्राह्मण देवता’ बैन जेबाक प्रतित होमे लागइछ । सामग्रीमे ‘दिहबार बाबा’ सभहक देवता आ आस्थाके केन्द्र कहल गेल छैक, मुद्दा ब्राह्मण जातिके यशोगान आ महिमा मण्डन करैवाला गीतसभ राखि ब्राह्मण देवताके रुपमे दिहबार बाबाके बनाओल गेल छै । ‘ब्रह्म’ शब्द जोडि के ब्रह्म बाबा कियैक कहल गेल छैक तक्कर पुस्ति आलेखमे नय कयल गेल छैक, मुद्दा ‘ब्रह्म’ माने ‘ब्राह्मण’ पुस्ति करबाक फेरमे ‘मैथिल मंच’ अंधाधुंद लागल बुझाइछ । मैथिल मंचमे लिखल किछु अंश पढल जाए–
‘………..सभ गामक पाछू एकटा लोक देवता छथि जनिका प्रति गामक सभ लोक आ सभ जाति पूर्णतह आस्थावान रहैत छथि आ ओ छथि गामक डिहवार वा ब्रह्म बाबा | गामक कोनो पीपरक गाछ तर हिनक बास छन्हि जे ओहि समस्त गामक सभ तरहेँ रक्षाक भार अपना पर रखनेँ रहैत छथि | एहि ब्रह्म पूजाक प्रारम्भ कहिया सँ आ कोना भेल तकर कोनो प्रमाण प्राप्त नहि अछि | हिनक सम्बन्ध मे जे लोक कथा अछि से एना अछि | पूर्व काल मे यदि कोनो ब्राह्मणक सद्यः उपनीत बालक अकाल काल कवलित भय जाथि किम्बा गामक सज्जन महापुरुषसमाजसेवक त्यागी करुनाशील ब्यक्ति जे अपन जीवन काल मे आचरण ,स्वभाव सँ लोकोपकारी रहल होथि |ककरो कहियो अनिष्ट नहि कएने वा सोचने होथि |ओ गामक लोक वेद जीव जंतु ,गाछ वृक्ष ,माँटि पैन सबहक रक्षक होथि | एहने शुद्ध ,निश्छल परोपकारी बटुक कालान्तर मे ब्रह्म वा गामक डिहवार बनि जैत छथि | मिथिलाक प्रायः प्रत्येक गाम मे विभिन्न विभिन्न नामक डीहवार ब्रह्म भेटताह |एहि सँ सिद्ध होइछ जे ब्रह्म एकटा पद थिक जे गामक रक्षक हुतात्मा केँ प्रदान कएल जाइछ | ई गामक विशिष्ट आत्माक प्रतीक थिकाह | देवात्माक नाश नहि होइछ आ ने ओ भूत ,प्रेत ,पिशाच योनि मे जाइछ |कोनो दुष्टात्मा कथमपि ब्रह्म पद नहि पाबि सकैत अछि | ई हुतात्मा गामक कोनो पवित्र ब्यक्तिक देह मे प्रवेश कए ओकर आत्मा केँ माध्यम बनाय गामक भूत ,वर्त्तमान ओ भविष्यक कथा तथा आगत आपत्ति बिपत्ति ,रोग शोक ,सुख आनंद सँ जनगण के परिचि कराय आगामी संकट ,रोग सोग सँ बचबाक उपाय कहि जन साधारण केँ सचेत कए दैत छथि | ई ब्रह्म गामक कोनो शांत एकांत स्थान मे पीपरक गाछ तर रहैत छथि जे गामक ब्रह्मस्थान कहबैत अछि | पीपरक जड़ि मे माँटिक चबुतरा आ चबूतरा पर बाँस मे फहरैत लाल रंगक ध्वजा ,गाछ मे अनेकानेक भत्ता लपेटल जनउ आ पीरी पर चढाओल फूल ,पान अक्षत ,दूध .पीठी आ घीक प्रवाहित धार ,कात मे सजाओल माँटिक घोड़ा | प्रत्येक गाम मे सालक कोनो दिन विशेष सामूहिक पूजा होइत अछि |ब्रह्मस्थान मे ढोल पिपही ताशा ,सिंगा बजैत अछि आ घरे घर सँ फूल पान प्रसाद चढ़ाय लोक पूजा करैत अछि आ ब्राह्मण कुमारि भोजन करबैत अछि | एहि प्रसंग मे लोक कंठ मे किछु परम्परागत गीत अछि जे गाम आ क्षेत्र भेदेँ अलग अलग अछि | आब हम अपन क्षेत्रिय ब्रह्मगीतक किछु बानगी पेश करए जा रहल छी ——
[१] ब्राह्मण बाबुक अंगना मे पीपरक गछिया ,ताहि तर ब्रह्म निवास हे !
घोडबा चढ़ल आबथि ब्राह्मण दुलरुआ ,शक्ति जोति कएने परगास हे !
बिछि बिछि मारू ब्राह्मण दुष्ट कसैया ,दुःख शोक करू ने बिनाश हे !
गाम केर सकल मनोरथ पुरियौ ,ब्रह्म बाबा अहीँ केर आश हे !
[२] प्रजा पूत पर घोर विपतिया ,ब्राह्मण बाबू सूनू ने पुकार यौ !
अहँ बिनु ब्राह्मण के दुःख हरतै, ब्रह्म बिनु सुन संसार यौ !
पापी पापक बाढ़ि भेल अछि ,घेरने शोक विकार यौ !
भुजा उठाय संहारू खल दल ,शक्ति अनेक प्रकार यौ !
[३] ब्राह्मण बाबुक छतिया मे देवता केर बल छन्हि, दुष्ट करथि संहार हे !
प्रजा पूत केर रक्षा खातिर ,हिरदय नीक विचार हे !
माथा गोखुर टीक जनेउआ चन्दन सुन्दर शोभ हे !
पहिरन पीताम्बर चकमक कर, पूजा पाठक लोभ हे !
अमृत लोटा हाथ मे सोटा ,भक्त ने करथि उदास हे !
जीव जंतुकेर पालक ब्राह्मण ,सभ जन हिनकर दास हे |
[४] चढ़ि के खरमुआ ब्राह्मण बाबू अएला भक्तक द्वारि हो रामा !
मुँह मे मन्त्र हाथ मे आशीष ,सुनि के भगत पुकार हो रामा !
अक्षत फूल ,चानन ,जनोऊ लय ,जे कर हिनक गोहारि हो रामा !
सदय रहथि सदिकाल भक्त पर ,सभटा
विपत्ति पछारि हो रामा |
[५] कमलक आसन देल बाबू ब्राह्मण ,गंगाजल स्नान यौ !
अक्षत मधु और दूध घी भोजन ,फल फूल और बीड़ा पान यौ !
आरव चौरक पीठी देलहुँ,चरखा सुतक जनोउ यौ !
आफद विपद हरण करू ब्राह्मण ,दीन हीन सुधि लेहु यौ !

Language: Maithili
Tag: लेख
1 Like · 218 Views
Books from Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
View all

You may also like these posts

अभिनन्दन
अभिनन्दन
श्रीहर्ष आचार्य
मन मसोस
मन मसोस
विनोद सिल्ला
छोड़ तो आये गांव इक दम सब-संदीप ठाकुर
छोड़ तो आये गांव इक दम सब-संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
#दोहा-
#दोहा-
*प्रणय*
ये बता दे तू किधर जाएंगे।
ये बता दे तू किधर जाएंगे।
सत्य कुमार प्रेमी
कविता.
कविता.
Heera S
इश्क़
इश्क़
ओनिका सेतिया 'अनु '
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
चलो अब कुछ बेहतर ढूंढते हैं,
चलो अब कुछ बेहतर ढूंढते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Ajeeb hai ye duniya.......pahle to karona se l ladh rah
Ajeeb hai ye duniya.......pahle to karona se l ladh rah
shabina. Naaz
शंखनाद
शंखनाद
Rambali Mishra
समझौते की कुछ सूरत देखो
समझौते की कुछ सूरत देखो
sushil yadav
हम चुप रहे कभी किसी को कुछ नहीं कहा
हम चुप रहे कभी किसी को कुछ नहीं कहा
Dr Archana Gupta
- वो मिल जाए तो फिर तलाश खत्म -
- वो मिल जाए तो फिर तलाश खत्म -
bharat gehlot
अध्यात्म चिंतन
अध्यात्म चिंतन
डॉ० रोहित कौशिक
कीमती समय
कीमती समय
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
3577.💐 *पूर्णिका* 💐
3577.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
हे माँ कुष्मांडा
हे माँ कुष्मांडा
रुपेश कुमार
नई सुबह
नई सुबह
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
अमत्ता घनाक्षरी
अमत्ता घनाक्षरी
seema sharma
मनुष्य को
मनुष्य को
ओंकार मिश्र
प्रकृति ने
प्रकृति ने
Dr. Kishan tandon kranti
మగువ ఓ మగువా నీకు లేదా ఓ చేరువ..
మగువ ఓ మగువా నీకు లేదా ఓ చేరువ..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
!!  श्री गणेशाय् नम्ः  !!
!! श्री गणेशाय् नम्ः !!
Lokesh Sharma
बुझे अलाव की
बुझे अलाव की
Atul "Krishn"
गौमाता मेरी माता
गौमाता मेरी माता
Sudhir srivastava
फल(कुंडलिया)
फल(कुंडलिया)
Ravi Prakash
अपना लिया
अपना लिया
Deepesh Dwivedi
खिंची लकीर
खिंची लकीर
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
उसकी फितरत थी दगा देने की।
उसकी फितरत थी दगा देने की।
Ashwini sharma
Loading...