“लोकगीत” (छाई देसवा पे महंगाई ऐसी समया आई राम)
जीरा ,हींग जवाइन, हल्दी दूने दाम बिकाती,
भाव सुने काजू किसमिस के फाटे हमरी छाती।
गुड और चीनी दवाई पर महंगाई छाई,
ऐसी समया आई राम….
तेल ,डालडा, कपड़ा ,कागज पर महंगाई छाई,
डुप्लीकेट दवाई होइयेगई कैसे प्राण बचाई,
महंगी होईगी दियासलाई ऐसी समय आई राम…
हमरे घर मा गुड़ओ नहीं की लरिकन का समझाई
मंत्री गण सब राज्यसभा में छाने दूध मलाई।
कैसी भला गरीबी आई ऐसी समय आई आराम…
लकड़ी नमक तेल परछाई है महंगाई
सुविधा शुल्क तलक ना छोड़ा बैरी पांव जमाई।
“श्लोक”अब शंकर जी तुम ही सहाई
ऐसी समया आई राम …
✍️श्लोक”उमंग”✍️