ले आओ बारात
***ले आओ बारात (गीत)***
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काटे नही कटती काली रात,
ले आओ सजन आंगन बारात।
यौवन से भरा तन मन बेचैन,
खाने को दौड़ती लंबी रैन,
कब तुम लोगे संग फेरे सात।
ले आओ सजन आंगन बारात।
सखियाँ प्यारी गई हैं ससुराल,
वियोग में जोगन का बुरा हाल,
प्रीतम प्यारे दो प्रेम सौगात।
ले आओ सजन आंगन बारात।
पांव पसारे मैं राह ताकती,
चुनरी सीने पर डंग मारती,
कब बरसेगी नेह की बरसात।
ले आओ सजन आंगन बारात।
मनसीरत मन हो गया बांवरा,
फूलों पर मंडराता भंवरा,
कब होगी सुहाग संग प्रभात।
ले आओ सजन आंगन बारात।
काटे नहीं कटती काली रात,
ले आओ सजन आंगन बारात।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)