लेस्बियन
लेस्बियन (लघुकथा)
हैलो! “कौन, आप पलक बोल रही हैं?”
जी, मैं पलक ही बोल रही हूँ।आप कौन ? मैंने आपको पहचाना नहीं?
मैं धनंजय बोल रहा हूँ।मैं आर एस पी काॅलेज से बी टेक कर रहा हूँ।मेरी उम्र बाइस साल है।मैं आपको बहुत प्यार करता हूँ।बड़ी मुश्किल से मुझे तुम्हारा फोन नंबर मिला है।मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ।
पलक को सारा माजरा समझने में देर नहीं लगी।वह मामले की गंभीरता और आने वाले ख़तरे को भाँप चुकी थी।
उसने धनंजय को जवाब दिया, “मैं तुम्हें नहीं जानती और न प्यार करती हूँ ।प्यार तो मैं किसी और से कर भी नहीं सकती।”
धनंजय ने कहा, “अगर तुम मेरी नहीं हुईं तो मैं किसी और की भी होने नहीं दूंगा।”
पलक बोली”तो क्या तुम नेहा को मार दोगे?”
धनंजय ने पूछा”नेहा कौन?”
नेहा मेरी फ्रेण्ड ,जो मुझे दिलो जान से चाहती है,मैं भी उसे बहुत प्यार करती हूँ।पलक ने उसे समझाया।
छिः! :”तुम क्या लेस्बियन हो ?”
पलक को अपना काम बनता नज़र आया।उसने कहा, “और नहीं तो क्या।हम लोग अगले महीने शादी भी करने वाले है।”
पलक की बात सुनकर धनंजय ने तुरंत फोन काट दिया।
डाॅ बिपिन पाण्डेय