लेट लतीफ 【हास्य गीत】
लेट लतीफ 【हास्य गीत】
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ठीक समय पर एक कार्यक्रम में जाकर पछताए
(1)
जब हम पहुँचे ,लिए कुर्सियाँ ठेला वहाँ खड़ा था
और शामियाना ज्यों चारों खाने चित्त पड़ा था
नजर नहीं मेहमान, नहीं आयोजक कोई आए
(2)
हमने सोचा लेट हो गए ,घर से हम चलने में
तभी व्यस्त दीखे आयोजक, आँखों को मलने में
अध-निबटे थे ,हमें देखकर थोड़ा- सा घबराए
(3)
आयोजक हमसे बोले “क्यों जल्दी आप पधारे ?
अभी अधूरे हम निबटे हैं ,कार्य अधूरे सारे
हिंदुस्तानी समय लेट दो घंटे है कहलाए”
(4)
हमने बाँधी गाँठ ,लेट अब दो घंटे जाएंगे
शर्मिंदा होने से शायद ऐसे बच पाएंगे
जाओ दो घंटे लेट, भले चाहे जो जहाँ बुलाए
ठीक समय पर एक कार्यक्रम में जाकर पछताए
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रचयिता ःरवि प्रकाश,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)मोबाइल 9997 615451