Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Dec 2017 · 4 min read

लेख

सनातन धर्म के रक्षक:-भारत रत्न मदन मोहन मालवीय (संदर्भ :- जन्म दिवस 25 दिसम्बर)
– कवि राजेश पुरोहित
महामना मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसम्बर 1861 को प्रयाग में हुआ था। उस समय भारत में अंग्रेजों का शासन था। इनके पिताजी का नाम बृज नाथ था। माता का नाम मूना देवी था। ये अपने पिता की पांचवी संतान थे। इनके सात भाई बहनों का परिवार था।इनके पिताजी संस्कृत के विद्वान थे। श्रीमद्भागवत कथा के मर्मज्ञ थे। पिताजी कथा सुनाकर आजीविका चलाते थे।जिन्होंने दसवीं कक्षा म्योर सेंट्रल कॉलेज से उत्तीर्ण की जिसे वर्तमान में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के नाम से जानते हैं। जिन्हें हैरिसन स्कूल के प्रिंसिपल ने छात्रवृति देकर कलकत्ता के विश्वविद्यालय में पढ़ने भेजा था। इन्होंने स्नातक 1884 में की।
मदन मोहन मालवीय को सनातन धर्म के रक्षक के रूप में जाना जाता है। सत्य ,दया,सहानुभूति,न्याय ,ह्रदय की महानता यदि ये सब विशेषताएं जिसमें है वह सनातन धर्म है।
मनुष्य वही है जिसमें द्वेष की भावना न हो मालवीय जी कहा करते हम करुणा रखे,शरीर,मन,वाणी से किसी का बुरा न करें।धर्मऔर देश की रक्षा के लिए सर्वस्व त्याग की भावना हर भारतीय में होना चाहिए।
आपकी वेशभूषा भारतीय संस्कृति की पहचान थी। आचार विचार में मालवीय जी भारतीय संस्कृति के प्रतीक थे।
वह कहते थ’े चाहे सिर चला जाय लेकिन मेरा धर्म न जाना चाहिए।”
इनके पितामह प्रेमधर जी चतुर्वेदी ने आठ दिन इन एक सो आठ बार श्रीमद्भागवत की थी।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना मदन मोहन मालवीय जी ने की उन्होंने अपने भाषण में कहा था की भारत की विविध विधाओं में,विभिन्न कलाओं की शिक्षा मिले इस हेतु हिन्दू विश्वविद्यालय के ये विशाल भव्य भवन बनाये हैं। भारत की संस्कृति ,सनातन धर्म की यहाँ से शिक्षा प्राप्त करें। भारतीय स्थापत्य कला आज भी विश्वविद्यालय की देखने योग्य है।
मालवीय जी ने एफ ए बी ए वकालात की परीक्षा उत्तीर्ण की। इनका विवाह कुंदन देवी से सोलह वर्ष की आयु में हुआ था। मिर्जापुर उत्तर प्रदेश के पंडित नंदलाल जी की सुपुत्री कुंदन देवी धार्मिक स्वभाव की थी। मालवा के निवासी होने के कारण ये मालवीय कहलाये।
आपने कई पत्र पत्रिकाओं के प्रधान संपादक का कार्य भी किया आपके लेख उस समय खूब छपते थे। लोग ज्यादा संख्या में पढ़ते भी थे। अभ्युदय,लीडर,हिंदुस्थान टाइम्स,मर्यादा,सनातन धर्म पत्रिकाओं में आपके लेख छपते थे।
बालपन से ही पूजा,वंदन,संध्या। परिवार में आपने करते देखा था। धनहीन किंतु निर्लोभी परिवार में आपका जन्म हुआ। आपने रेल यात्रा, जेल यात्रा, जलयान सभी जगह नियम से प्रातः सायं संध्योपासना की। आप साठ वर्ष की अवस्था में भी नियमित व्यायाम किया करते थे।
आपके बचपन की बड़ी रोचक कथा है। जब मालवीय जी मात्र सात वर्ष के थे। तभी आप धर्म ज्ञानोपदेश पाठशाला में शिक्षा ग्रहण करने जाने लगे थे।इनके गुरुजी इन्हें माघ मेले में ले जाते और मूढ़े पर खड़ा कर इनसे व्याख्यान दिलाते थे। हज़ारों लोग इनके व्याख्यान सुनने आते थे।
सिल्वर टँग मृदुभाषी मालवीय जी बालपन से ही प्रतिभाशाली थे यही कारण था कि कॉंग्रेस केदूसरे अधिवेशन में इनके भाषण से सारे प्रतिनिधि मंत्रमुग्ध हो गए थे। ओजस्वी भाषण देते थे मालवीय जी।
मालवीय जी के विचार हिन्दू धर्मोपदेश,मंत्रदीक्षा,सनातन धर्म,प्रदीप ग्रंथों में उनके धार्मिक विचार नियमित प्रकाशित होते थे।
अंग्रेजो की दासता में जकड़ा भारत कई समस्याओं से घिरा था। मालवीय जी ने अपने हज़ारों भाषणों,व्याख्यानों,असंख्य सभाओं में इन समस्याओं का जिक्र किया ।
एनिबेसेन्ट ने कहा था मालवीय जी भारतीय एकता की मूर्ति की तरह अडिग खड़े हैं। कॉंग्रेस छोड़ने के बाद मालवीय जी नरम दल के साथ रहे। जहाँ उनका चार बार सम्मान किया गया। वह पचास वर्ष तक कॉंग्रेस के साथ रहे। उनका एक ही कहना था मैं भारत को स्वतंत्र देख सकूँ।
सनातन धतं व हिन्दू संस्कृति की रक्षा के लिए मॉलवीय जी का योगदान अविस्मरणीय है।
बाढ़, भूकम्प,महामारी, साम्प्रदायिक दंगे,मार्शल ला से दुखी त्रस्त दुखियों का दुख दूर करने का काम मॉलवीय जी ने किया था।
आप कई संस्थाओं के संस्थापक व कई संस्थाओं के सफल संचालक रहे। जिनमे प्रमुख थी ऋषिकुल हरिद्वार, गोरक्षा,आयुर्वेद सम्मेलन, सेवा समिति, ब्वॉय स्काउट आदि।
संस्कृत के प्रचार प्रसार हेतु आपने भरसक प्रयास किया। विशाल बुद्धि ,संकल्प,देश प्रेम,क्रियाशक्ति,तप, त्याग की साक्षात प्रतिमूर्ति थे मॉलवीय जी।
प्राचीन सभ्यता व संस्कृति की महत्ता की रक्षा ,संस्कृत विधा के विकास,पाश्चात्य विज्ञान के साथ सामंजस्य मॉलवीय जी चाहते थे।
जब मॉलवीय जी उदाहरण देकर बात समझाते थे तो श्रोताओं को रुला दिया करते थे।
उनकी आवाज में गजब की मिठास थी। हिंदी भाषा के उत्थान हेतु इन्होंने 1898 में कचहरियों में प्रवेश दिलाया।
मॉलवीय जी हिंदी के प्रसिद्ध कवि भी थे। जिन्होंने मकरंद और झक्कड़ सिंह उपनाम से खूब कविताएँ लिखी थी जो प्रकाशित होती। 1910 में प्रयाग में हिंदी साहित्य सम्मेलन के प्रथम अधिवेशन के मुख्य अतिथि मदन मोहन मालवीय जी थे। उन्होंने कहा था “साहित्य औऱ देश की उन्नति अपने देश की भाषा द्वारा ही हो सकती है।”
आपने कोमी एकता के काम किये। 1886 में स्वराज्य हेतु कठोर तप किया। गाँधीयुग की कॉंग्रेस में उनका यह प्रयास हम सब के लिए प्रेरणा स्तोत्र है।
हिंदी संस्कृत अंग्रेजी के व्याख्यान आपके काफी लोकप्रिय हुए।
इस युग के आदर्श पुरुष। भारत के पहले व्यक्ति जिन्हें महामना की उपाधि दी गई। पत्रकारिता, वकालात, समाज सुधार,मात्रभाषा तथा भारत माता की सेवा के लिए मॉलवीय जी ने अथक प्रयास किये। 24 दिसबंर 2014 को भारतरत्न से समान्नित किये गए। कर्म को पूजा मानने वाले महामना कहा करते -“जो देश का मस्तक ऊंचा कर सके जो सत्य ब्रह्मचर्य देशभक्ति आत्मत्याग से व्यक्ति अपनी पहचान बना सकता है।”
-98,पुरोहित कुटी
श्री राम कॉलोनी
भवानीमंडी
पिन-326502
जिला-झालावाड़
राजस्थान

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 474 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मासुमियत है पर मासुम नहीं ,
मासुमियत है पर मासुम नहीं ,
Radha Bablu mishra
मानुष अपने कर्म से महान होता है न की कुल से
मानुष अपने कर्म से महान होता है न की कुल से
Pranav raj
खुशियों की आँसू वाली सौगात
खुशियों की आँसू वाली सौगात
DR ARUN KUMAR SHASTRI
3345.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3345.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
क्यों हादसों  से खौफज़दा हो
क्यों हादसों से खौफज़दा हो
Chitra Bisht
मुझे आरज़ू नहीं मशहूर होने की
मुझे आरज़ू नहीं मशहूर होने की
Indu Singh
"किनारे से"
Dr. Kishan tandon kranti
गर्मी और नानी का आम का बाग़
गर्मी और नानी का आम का बाग़
अमित
तुझको पाकर ,पाना चाहती हुं मैं
तुझको पाकर ,पाना चाहती हुं मैं
Ankita Patel
अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आ
अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आ
पूर्वार्थ
सुबुधि -ज्ञान हीर कर
सुबुधि -ज्ञान हीर कर
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
गिफ्ट में क्या दू सोचा उनको,
गिफ्ट में क्या दू सोचा उनको,
Yogendra Chaturwedi
“भोर की पहली किरण , ह्रदय को आनन्दित करती है ,
“भोर की पहली किरण , ह्रदय को आनन्दित करती है ,
Neeraj kumar Soni
बहते हुए पानी की तरह, करते हैं मनमानी
बहते हुए पानी की तरह, करते हैं मनमानी
Dr.sima
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
Aaj 16 August ko likhane ka Ehsas Hua bite 2021 22 23 mein j
Aaj 16 August ko likhane ka Ehsas Hua bite 2021 22 23 mein j
Rituraj shivem verma
समय (Time), सीमा (Limit), संगत (Company) और स्थान ( Place),
समय (Time), सीमा (Limit), संगत (Company) और स्थान ( Place),
Sanjay ' शून्य'
खुशियों का दौर गया , चाहतों का दौर गया
खुशियों का दौर गया , चाहतों का दौर गया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
😊
😊
*प्रणय*
प्रेरणा
प्रेरणा
Shyam Sundar Subramanian
न मन को अब होगी
न मन को अब होगी
Dr fauzia Naseem shad
दाल गली खिचड़ी पकी,देख समय का  खेल।
दाल गली खिचड़ी पकी,देख समय का खेल।
Manoj Mahato
गम के आगे ही खुशी है ये खुशी कहने लगी।
गम के आगे ही खुशी है ये खुशी कहने लगी।
सत्य कुमार प्रेमी
"लफ्ज़...!!"
Ravi Betulwala
अरमान
अरमान
अखिलेश 'अखिल'
🌹जिन्दगी के पहलू 🌹
🌹जिन्दगी के पहलू 🌹
Dr .Shweta sood 'Madhu'
यूँ तो बुलाया कई बार तूने।
यूँ तो बुलाया कई बार तूने।
Manisha Manjari
आज आचार्य विद्यासागर जी कर गए महाप्रयाण।
आज आचार्य विद्यासागर जी कर गए महाप्रयाण।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
तेवरीः शिल्प-गत विशेषताएं +रमेशराज
तेवरीः शिल्प-गत विशेषताएं +रमेशराज
कवि रमेशराज
कविता
कविता
Bodhisatva kastooriya
Loading...