Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Nov 2017 · 3 min read

लेख

भारत में शिक्षा पद्धति कैसी हो ?
*************************
– राजेश कुमार शर्मा”पुरोहित”

अर्वाचीन काल मे भारत की शिक्षा मैकाले की शिक्षा पद्धति पर ही चल रही है। आज की शिक्षा मात्र नोकरी पाने हेतु क्लर्क तैयार कर सकती है। नैतिक व आध्यात्मिक शिक्षा का अभाव है। डिग्रियों का बोझ लिए आज के युवक युवतियां बेरोजगारी का रोना रो रहे हैं।
आज की शिक्षा न तो रोजगातपरक है और न ही संस्कारवान बनाने में सक्षम। बच्चों को इतिहास की घटनाएं नहीं पढ़ाई जा रही है। न तो वह सुभाषचन्द्र बोस,भगत सिंह न चंद्रशेखर आज़ाद के बारे में जानते है न कभी पढ़ा है। गांव के सरकारी स्कूलों के बच्चे गाँधीजी के अलावा किसी नेता के बारे में नहीं जानते। हमारे देश के क्रांतिकारियों के चित्र उन्होंने देखे नही। कैसी है हमारी शिक्षा व्यवस्था। जिन्होंने आज़ादी के लिए अपने प्राण दे दिए। जो अमर शहीद हैं। क्या आज पाठ्यक्रम में उनके पाठ हैं? देखने की आवश्यकता है । आज देश के हर विद्यालयों में क्रान्तिकातियो,महापुरुषों, सामाजिक सुधारकों,सच्चे देशसेवकों के चित्र लगाकर उनके संक्षिप्त परिचय को विद्यालयों में लगाने हेतु पाबंद करना चाहिए।
बच्चों में संस्कार कहाँ से आएंगे विद्यालयों में पुस्तकालय विकसित नहीं है। सारी पुस्तकें अलमारियों में बंद है। न कोई पढ़ता है। न कभी पुस्तकालय खुलता है।
आज के बच्चे मोबाइल गेम में व्यस्त है।साहित्य पढ़ना उन्हें अच्छा नहीं लगता। रामायण,गीता बच्चे नहीं पढ़ते । तो सोचो संस्कार कहाँ से आएंगे। योग प्राणायाम आसन ध्यान कैसे सीखेंगे। विदेशी भाषा पराई है। विदेशी पहनावा पराया है जब हम हर चीज़ के लिए पराये भरोसे हो गए तो नैतिक व आध्यत्मिक शिक्षा कैसे मिलेगी?
मंत्र बोलना,वेद की ऋचाएं गाना, पूजन अर्चन,पाठ करना सब क्रियात्मक है। बालपन से ही बच्चे को शिक्षित करना पड़ता है।
श्लोक बोलना ,चोपाई बोलना,दोहे बोलना,भजन,गीत गाना ये सब सीखना व सीखाना चाहिए।
आज के बच्चे कॉमिक्स पढ़ते हैं बाल हंस,बाल वाटिका ,चम्पक,छोटू मोटू किताबें नहीं पढ़ते। कहानी,कविताएँ जो बच्चे पढ़ते हैं उनकी प्रतिदिन की अच्छी आदत हो जाती है। ऐसे बच्चे श्रम कर आगे बढ़ जाते हैं।
रामायण काल मे भगवान राम अपने भाइयों के साथ सुबह उठकर सबसे पहले अपनी माताजी फिर पिताजी फिर गुरुजी के चरण स्पर्श करते थे।
आज तो बच्चे सुबह उठकर देखते है फेसबुक पर फ़ोटो पर कितने लाइक कमेंट आये। सारी संस्कृति बदल गई। विचार करो क्या हम पाश्चात्य रंग में नहीं ढल गए।
हम जूते पहन कर खड़े खड़े भोजन कर रहे है जबकि हमारी भारतीय संस्कृति में अन्न को भी अन्न नारायण या अन्न देवता कहकर पूजा जाता है। अन्न देव का अपमान माना जाता है। खड़े भोजन करने से पेट संबंधी कई बीमारियों को हम न्योता दे रहे है। विदेशी संस्कृति से हमे रोग मिले। सुख आनंद नहीं।
पढ़ाई के साथ साथ उधोगपरक शिक्षा,व्यावसायिक शिक्षा की जरूरत है। किसी हुनर को पढ़ाई के साथ सीखना जरूरी है। भारतीय संस्कृति गुरुकुल पद्दति को फिर से अपनाने की जरूरत है। हमारे ऋषियों मुनियों की संस्कृति को हमे सीखना होगा। वेद,पुराण गीता,रामायण को प्रतिदिन पढ़ना चाहिए। प्राचीन खेलों को बढ़ावा देना चाहिए।
बच्चे आत्मविश्वासी,स्वावलम्बी बने मजबूत, बने इस हेतु शारीरिक खेलों को खेलने हेतु
पूर्ण व्यवस्था होना चाहिए।
हमारी सांस्कृतिक विरासत को बचाना हम सभी का कर्तव्य है आओ हम आज की शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन कर भारतीय संस्कार व संस्कृति को बचाने के काम मे जुट जाएं। हमारा परिवेश अच्छा तभी होगा जब हम समाज मे व्याप्त बुराइयों से देश के हर व्यक्ति को बचा पाएंगे।
98,पुरोहित कुटी,श्रीराम कॉलोनी भवानीमंडी पिन326502

Language: Hindi
Tag: लेख
518 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
याद रखना कोई ज़रूरी नहीं ,
याद रखना कोई ज़रूरी नहीं ,
Dr fauzia Naseem shad
दगा बाज़ आसूं
दगा बाज़ आसूं
Surya Barman
कैसे कह दूँ ?
कैसे कह दूँ ?
Buddha Prakash
कभी किसी की सादगी का
कभी किसी की सादगी का
Ranjeet kumar patre
रावण दहन हुआ पर बहराइच में रावण पुनः दिखा।
रावण दहन हुआ पर बहराइच में रावण पुनः दिखा।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
##सभी पुरुष मित्रों को समर्पित ##
##सभी पुरुष मित्रों को समर्पित ##
पूर्वार्थ
हम मोहब्बत में सिफारिश हर बार नहीं करते,
हम मोहब्बत में सिफारिश हर बार नहीं करते,
Phool gufran
दूर अब न रहो पास आया करो,
दूर अब न रहो पास आया करो,
Vindhya Prakash Mishra
दाल गली खिचड़ी पकी,देख समय का  खेल।
दाल गली खिचड़ी पकी,देख समय का खेल।
Manoj Mahato
*अहम ब्रह्मास्मि*
*अहम ब्रह्मास्मि*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
https://j88tut.com
https://j88tut.com
j88tut
बर्दास्त की आख़िर हद तक देखा मैंने,
बर्दास्त की आख़िर हद तक देखा मैंने,
ओसमणी साहू 'ओश'
घनाक्षरी छंदों के नाम , विधान ,सउदाहरण
घनाक्षरी छंदों के नाम , विधान ,सउदाहरण
Subhash Singhai
सुंदर लाल इंटर कॉलेज में प्रथम काव्य गोष्ठी - कार्यशाला*
सुंदर लाल इंटर कॉलेज में प्रथम काव्य गोष्ठी - कार्यशाला*
Ravi Prakash
हमने ख्वाबों
हमने ख्वाबों
हिमांशु Kulshrestha
ग़ज़ल _ तुम नींद में खोये हो ।
ग़ज़ल _ तुम नींद में खोये हो ।
Neelofar Khan
द़ुआ कर
द़ुआ कर
Atul "Krishn"
आपकी मुस्कुराहट बताती है फितरत आपकी।
आपकी मुस्कुराहट बताती है फितरत आपकी।
Rj Anand Prajapati
जिंदगी सभी के लिए एक खुली रंगीन किताब है
जिंदगी सभी के लिए एक खुली रंगीन किताब है
Rituraj shivem verma
#आज_का_क़ता (मुक्तक)
#आज_का_क़ता (मुक्तक)
*प्रणय*
तस्वीर तुम्हारी देखी तो
तस्वीर तुम्हारी देखी तो
VINOD CHAUHAN
हम बिहारी है।
हम बिहारी है।
Dhananjay Kumar
उमंग
उमंग
Akash Yadav
5 दोहे- वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई पर केंद्रित
5 दोहे- वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई पर केंद्रित
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
लोगों के रिश्मतों में अक्सर
लोगों के रिश्मतों में अक्सर "मतलब" का वजन बहुत ज्यादा होता
Jogendar singh
मेला दिलों ❤️ का
मेला दिलों ❤️ का
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
National YOUTH Day
National YOUTH Day
Tushar Jagawat
2992.*पूर्णिका*
2992.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
" वफ़ा की उम्मीद "
Dr. Kishan tandon kranti
मुॅंह अपना इतना खोलिये
मुॅंह अपना इतना खोलिये
Paras Nath Jha
Loading...